वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच नगर की हृदय स्थली त्रिवेणी घाट से साधु-संतों के पावन सानिध्य में गोमुख संकल्प कलश यात्रा हुई रवाना

 वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच नगर की हृदय स्थली त्रिवेणी घाट से साधु-संतों के पावन सानिध्य में गोमुख संकल्प कलश यात्रा यहां से रवाना हुई। नगर निगम महापौर अनीता ममगाईं ने यात्रा की शुरूआत की। इस दौरान ऋषि कुमारों को स्वच्छता बैग भी दिए गए।

रामायण प्रचार समिति तुलसी मानस मंदिर की ओर से आयोजित इस यात्रा में महापौर अनीता ममगाईं ने कहा कि गंगा एवं पर्यावरण सुरक्षा को लेकर यह यात्रा बीते कुछ वर्षों में अपना व्यापक संदेश देने में सफल रही है। गंगा करोड़ों देशवासियों की आस्था का प्रतीक है। उसे स्वच्छ व निर्मल रखना हम सब का कर्तव्य है। पर्यावरण सुरक्षा को लेकर भी यह पावन यात्रा निश्चित जनजागृति लाने में सफल रहेगी। इस मौके पर पंडित रवि शास्त्री ने बताया कि यात्रा का मुख्य उद्देश्य मां गंगा और पर्यावरण को गोमुख से लेकर गंगासागर तक प्रदूषण मुक्त बनाए रखना है। कहा कि यात्रा के विभिन्न पड़ावों में स्थानीय लोग को संकल्प पत्र और पौधरोपण के माध्यम से जागरुक किया जाएगा।

इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी दया राम दास महराज, महामंडलेश्वर स्वामी डा. रामेश्वर दास महराज, मंहत वत्सल प्रपन्नाचार्य, मंहत जगदीश प्रपन्नाचार्य महाराज, मंहत मनोज प्रपन्नाचार्य महाराज, मंहत केशव स्वरुप महाराज, हर्षवर्धन शर्मा, संदीप गुप्ता, अजय गर्ग, संजय शास्त्री, चंद्रवीर पोखरियाल, मदन मोहन शर्मा ,दिनेश कोठियाल, पंकज शर्मा,राजकुमार अग्रवाल मौजूद रहे।

ऐपण में उत्तराखंड की परंपरा व लोककला का प्रदर्शन

देहरादून: कूर्मांचल सांस्कृतिक एवं कल्याण परिषद की ओर से तीन दिवसीय दीपावली मेले के दूसरे दिन आस्था और परंपरा को दर्शाता ऐपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें महिलाओं ने उत्साह के साथ देवभूमि की परंपरा व लोककला का प्रदर्शन किया।

जीएमएस रोड स्थित कूर्मांचल भवन में आयोजित कार्यक्रम में परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष कमल रजवार ने कहा कि सदियों पुरानी लोक कलाओं को जारी रखने के लिए कार्यक्रम कराया गया। परिषद की केंद्रीय सांस्कृतिक सचिव बबीता शाह लोहनी ने बताया कि ऐपण कुमाऊं में स्थापित लोक कला है। यह एक देवीय शक्ति का आह्वान करता है जो सौभाग्य लाता है और बुराई को रोकता है। इस मौके पर केंद्रीय महासचिव चंद्रशेखर जोशी, गोविंद पांडेय, हरीश सनवाल, नागेंद्र कुंवर, गीता किरौला, रेवती बोरा, मोहनी राणाए, शांति चंदोला, बीना राणा आदि मौजूद रहे।

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