गोरखपुर उपचुनाव में कहीं इन कारणों से तो नहीं हार गई बीजेपी, जाने…

बीजेपी की उपचुनाव में हार का कारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मैजिक से चुनावी वैतरणी पार होने की उम्मीद बना। साथ ही अति आत्मविश्वास भी भाजपा को ले डूबा। बडे़ नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता दफ्तरों में बैठकर चुनावी तैयारियों की समीक्षा ही करते रहे। लेकिन शहरी क्षेत्र के मतदाताओं को मतदान केंद्र तक नहीं ले जा सके। इसी का नतीजा रहा कि गोरखपुर शहरी विधानसभा क्षेत्र में महज 38.5 फीसदी वोटिंग ही हो सकी। नेता और कार्यकर्ता मुख्यमंत्री से ही करिश्मे की उम्मीद पालते रहे।

गोरखपुर उपचुनाव में कहीं इन कारणों से तो नहीं हार गई बीजेपी, जाने...आमतौर पर शहरियों को भाजपा का वोट बैंक बताया जाता है। मुख्यमंत्री ने शहर विधानसभा क्षेत्र की अपनी अंतिम जनसभा में टाउन हॉल में कहा भी था कि यदि शहर में 60 फीसदी वोटिंग करा लें तो भाजपा ढाई लाख वोटों से जीत जाएगी। लेकिन भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं ने ऐसा नहीं किया। वह योगी मैजिक के भरोसे ही बैठे रहे। मतदाता पर्ची को घर-घर तक पहुंचाने का काम नहीं हुआ। यही कारण था कि वोटर वोट देने नहीं निकल सके।

अब नतीजा भाजपा के हार के रूप में सामने आया है। अब भाजपा नेता दबी जुबान में कह रहे हैं कि शहर विधानसभा क्षेत्र की कम वोटिंग हार की प्रमुख वजह है। यदि 50 फीसदी वोटिंग भी हो जाती तो उपेंद्र को 50 हजार से ज्यादा वोटों से जीत मिल सकती थी। यही नहीं, ऐसा लगा कि चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही लड़ रहे हैं। उन्होंने ताबड़तोड़ 16 कार्यकर्ता सम्मेलन और जनसभाओं को संबोधित भी किया। इससे भाजपाई अति आत्मविश्वास में आ गए। सब कहते रहे कि गोरक्ष पीठाधीश्वर का आशीर्वाद है। जीत जरूर मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

मंत्रियों में चेहरा दिखाने की होड़

भाजपा ने यूपी सरकार के कई मंत्रियों को प्रचार में उतारा था लेकिन वे फोटो खिंचवाने, अखबार में छपवाने और सोशल मीडिया पर अपलोड करने तक सीमित रह गए।

कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भारी पड़ी

जानकारों की मानें तो भाजपा कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भी भारी पड़ी। सरकार का कार्यकाल एक साल पूरा होने वाला है लेकिन कार्यकर्ताओं को सम्मान नहीं मिल सका। पुलिस, प्रशासनिक अफसरों से कार्यकर्ताओं ने जो भी सिफारिश की या सहूलियत मांगी, उसे नजरअंदाज कर दिया गया।

आरएसएस की दूरी भी कारण

गोरखपुर सदर लोकसभा उपचुनाव में आरएसएस ने कोई खास रुचि नहीं ली। गोरक्ष प्रांत के बड़े पदाधिकारी आरएसएस के अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में हिस्सा लेने नागपुर चले गए। इस कारण पदाधिकारी वोट भी नहीं डाल सके।

सांसद के खिलाफ मुकदमे का गलत सियासी संदेश

चुनाव प्रचार के बीच में ही गोरखपुर पुलिस ने बांसगांव से भाजपा सांसद कमलेश पासवान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। लिहाजा वह चुनाव प्रचार बीच में छोड़ गिरफ्तारी से बचने की कोशिश में लग गए। इसका गलत सियासी संदेश गया। ऐसा लगा कि पासवान वोट बैंक भी भाजपा से किनारे हो गया है।

संगठनात्मक रणनीति फेल

सपा के मुकाबले भाजपा की संगठनात्मक रणनीति भी फेल हो गई।

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