बर्फ की चादर से ढकी गंगोत्री घाटी में इन दिनों 25 से अधिक साधु-संन्यासी प्राण साधना में हैं लीन…

बर्फ की चादर से ढकी गंगोत्री घाटी में इन दिनों 25 से अधिक साधु-संन्यासी प्राण साधना में लीन हैं। कोई ध्यान में मग्न है, तो कोई योग में। कोई मौन साधना कर रहा है, तो कोई हठ योग। बर्फीले बियाबान की हाड़ कंपा देने वाली ठंड में भी इन साधु-संन्यासियों की साधना अनवरत जारी रहती है। ऐसा ही एक साधु समुद्रतल से 4600 मीटर की ऊंचाई पर तपोवन में साधना कर रहा है।

हिमालय की कंदराओं में साधुओं के कठिन तप से जुड़े किस्से और साक्ष्य आज भी हर-किसी को रोमांचित करते हैं। यहां आज भी अनेक प्राचीन गुफाएं मौजूद हैं, जिनमें ऋषि-मुनियों ने घोर तप किया। 1980 से 1990 के बीच भी यहां अनेक साधक देखे जाते थे। हालांकि, कालांतर में इनकी संख्या घटती चली गई। वर्ष 2019-2020 और वर्ष 2020-2021 के शीतकाल में कोई भी साधु तोपवन क्षेत्र में साधना को नहीं ठहरा। लेकिन, इस शीतकाल में गोमुख से पांच किमी हिमालय की ओर तपोवन में नागरदास मौनी बाबा साधना में लीन हैं। इसके अलावा करीब 25 साधु गंगोत्री से सटे इलाके में साधना कर रहे हैं।

इनमें से कुछ साधु बीते नौ-दस वर्ष से यहां हैं। रही बात तपोवन की, तो 2018 से पहले यहां शीतकाल में तीन साधु साधना करते थे। उन्होंने चट्टानों की आड़ में अपनी कुटिया बनाई हुई थी। लेकिन, इस बार एक ही साधु की कुटिया है। जिन्हें गंगोत्री नेशनल पार्क के कर्मी और पर्यटन से जुड़े व्यक्ति मौनी बाबा नाम से जानते हैं। गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक आरएन पांडेय ने बताया कि मौनी बाबा ने तपोवन में जीवन यापन के लिए जरूरी सामान भी जुटा रखा है।

इसके अलावा गंगोत्री से पांच किमी गोमुख की ओर कनखू में प्रसिद्ध साधु रामकृष्णदास तपस्या में लीन हैं। गंगोत्री धाम के आसपास पांडव गुफा, फौजी गुफा, नंदेश्वर गुफा, राजा रामदास गुफा, अंजनी गुफा, वेदांता गुफा, शिव चेतना गुफा में भी साधु साधनारत हैं। जबकि, इन इलाकों में अधिकतम तापमान भी माइनस में चल रहा है। पानी का इंतजाम भी बर्फ को पिघलाकर करना पड़ता है।

योग साधना के लिए खास है तपोवन

गंगोत्री हिमालय में शिवलिंग चोटी का बेस कैंप तपोवन पहले से ही योग साधना के लिए खास रहा है। 1930 से 1950 के दौरान तपोवन में लंबे समय तक एक साधु ने साधना की थी, जो आगे चलकर तपोवन महाराज के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यही नहीं, योग गुरु बाबा रामदेव ने भी 1992 से लेकर 1994 तक गंगोत्री की कंदराओं में साधना कर आध्यात्मिक ज्ञान लिया था। इनके साथ ही तपोवनी माता, स्वामी सुंदरानंद, लाल बाबा, राम बाबा सहित कई प्रसिद्ध साधुओं ने यहां साधना की है।

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