दक्ष‍िण कोरिया में कदम रखते ही किम ने कही ये बड़ी बात…

नॉर्थ कोरियाई नेता किम जोंग उन ने शुक्रवार को अपने सरहद की सीमा पार करके दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून से मुलाकात की. किम ने इस मुलाकात पर कहा, ‘इतना भी मुश्‍किल नहीं था ये लाइन पार करना. जब मैं चल कर आ रहा था तो सोच रहा था, क्‍यों इतना मुश्‍किल था यहां तक आना?’ बता दें, किम और मून के बीच ऐतिहासिक शिखर वार्ता होने जा रही है. इस वार्ता में उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी.

हमें यहां आते-आते 11 साल लग गए: किम

किम जोंग उन ने कहा, ‘ये लाइन इतनी भी बड़ी नहीं थी कि पार ना की जा सके. वहां आना बहुत आसान था. लेकिन हमें यहां आते-आते 11 साल लग गए.’ वहीं, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून ने कहा, ‘बॉर्डर की लाइन अब बंटवारे का नहीं बल्‍कि शांति का नया प्र‍तीक है. किम के निर्णय की सराहना करनी चाहिए.’  

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उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग ने ऐतिहासिक अंतर कोरियाई सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार सुबह पैदल ही सीमा पार की. बता दें कि किम जोंग उन 1950-53 के कोरियाई युद्ध की समाप्ति के बाद से दक्षिण कोरिया की धरती पर कदम रखने वाले पहले उत्तर कोरियाई शासक हैं.

किम की बहन भी दक्षिण कोरिया दौरे पर साथ

उत्तर कोरिया की ओर से नौ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में देश के ऑनरेरी अध्यक्ष किम योंग नैम, विदेश मंत्री री योंग हो और किम की बहन किम यो जोंग भी हैं. किम यो जोंग उत्तर कोरिया की वर्कर्स पार्टी के प्रोपेगैंडा एंड एजिटेशन डिपार्टमेंट की निदेशक हैं. किम यो जोंग ने दक्षिण कोरिया में शीतकालीन ओलम्पिक खेलों के दौरान सियोल का ऐतिहासिक दौरा भी किया था.

कहां हो रहा सम्मेलन?

दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया के बीच ये ऐतिहासिक सम्मेलन पनमुनजोम में हो रहा है. पनमुनजोम कोरियाई प्रायद्वीप की एकमात्र जगह है जहां उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया और अमरीकी सैनिक दिन-रात एक दूसरे से रूबरू होते हैं. साल 1953 के कोरियाई युद्ध के बाद से यहां युद्धविराम लागू है.

अमेरिका से हुई थी सीक्रेट मीटिंग

इससे पहले उत्तर कोरिया के साथ अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के निदेशक माइक पोम्पियो की गुपचुप मीटिंग की खबरें आईं थीं. किम जोंग उन से सीक्रेट मुलाकात हुई थी. पोम्पियो (31 मार्च और 1 अप्रैल के बीच उत्तर कोरिया के गुप्त दौरे पर गए थे. पोम्पियो के दौरे का मकसद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग उन के बीच सीधी बातचीत का रास्ता साफ करना था.

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