दिल्ली में राष्ट्रपति के नाम पर ठगी: पीड़ितों को देते थे संसद भेजने का लालच

राज्यसभा सदस्य बनाने के नाम पर दो करोड़ से ज्यादा की ठगी का मामला सामने आया है। आरोपी राष्ट्रपति के नाम पर पीड़ितों को झांसा देते थे। भरोसा दिलाने के लिए राष्ट्रपति के नाम पर फर्जी जन्मदिन बधाई पत्र भेजते थे।

आरोपी गिरफ्तार
दिल्ली पुलिस ठगी के आरोपी महंत नानक दास और नवीन कुमार को गिरफ्तार किया है। नानक दास कबीर पंथ के महंत हैं। शुरुआती जांच के बाद पुलिस ने कई लोगों से करोड़ों की ठगी की आशंका जताई है। दक्षिण-पश्चिमी जिला पुलिस उपायुक्त रोहित मीणा ने बताया कि कुछ दिन पहले पीसीआर कॉल मिली थी। फोन करने वाले ने बताया कि वह अर्धचीनी एसेक्स फार्म हाउस आईआईटी फ्लाईओवर के नीचे एक व्यक्ति को पकड़ रखा है, जिसने उसके साथ धोखाधड़ी की है।

सूचना के बाद किशनगंज थाने में तैनात एसआई धर्मेंद्र मौके पर पहुंचे। पीड़ित किशनगढ़ निवासी नरेंद्र सिंह ने एसआई को शिकायत दी कि वह सामाजिक कार्यकर्ता हैं। करीब तीन साल से नानक दास को जानते हैं। नानक दास से मुलाकात पटेल हाउस में कबीर दास साहब प्रकट दिवस के एक कार्यक्रम के दौरान अपने एक परिचित व्यक्ति महंत विचार दास के माध्यम से हुई थी।

पीड़ित शिकायत में आरोप लगाया कि अगस्त-2023 में कथित नानक दास ने बताया कि उनका नाम राज्यसभा के सदस्य के लिए प्रस्तावित किया गया है। नाम का प्रस्ताव राष्ट्रपति के प्रोटोकॉल अधिकारी कैप्टन नवीन कुमार सिंह द्वारा किया जा रहा है। इसकी एवज में आरोपियों ने उससे 5 करोड़ रुपये मांगे। इसके बाद नरेंद्र ने एक करोड़ रुपये नवीन के खाते में और 75 लाख नानक दास के

खाते में ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद 25 लाख रुपये किशनगढ़ गांव में दे दिए।

जन्मदिन का फर्जी बधाई पत्र भेजा
आरोपी नवीन व नानक दास ने पीडि़त नरेंद्र दास को विश्वास दिलाने के लिए उनके जन्मदिन पर राष्ट्रपति की ओर से जन्मदिन का फर्जी बधाई पत्र भी भेजा। इस पत्र को देखकर नरेंद्र दास को विश्वास हो गया कि उसे राज्यसभा का सदस्य बनाया जा रहा है।

नरेंद्र की शिकायत पर मामला दर्जकर किशनगढ़ थानाध्यक्ष शंभूनाथ की देखरेख में एसआई धर्मेन्द्र व हवलदार योगेश यादव की टीम ने जांच शुरू की। पीडि़त ने नवीन को पकड़कर पुलिस को सौंप दिया था। पुलिस टीम ने नवीन से पूछताछ के बाद महंत नानक दास को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने दोनों आरोपियों को पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ की है। नानक दास के साथ रहकर नरेंद्र भी महंत बनने की राह पर चला पड़ा था।

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