अगर आप भी एक दिन में पीते हैं इतने कप चाय, तो आपको पड़ सकता हैं भारी

 चाय दुनिया के सबसे प्रिय पेय पदार्थों में से एक है. चाय की सबसे लोकप्रिय किस्में ग्रीन, ब्लैक और ऊलोंग हैं. कुछ लोगों को चाय का गर्म कप संतोषजनक या सुखदायक पलों का एहसास कराता है लेकिन आपको बता दें कि चाय की खूबियों के साथ चाय पीने के नुकसान भी हैं. अगर आप चाय के शौकीन हैं और एक दिन में कई कप चाय पी लेते हैं तो आपको चाय से होने वाले नुकसानों के बारे में जरूर जान लेना चाहिए. हालांकि कम मात्रा में चाय का सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है लेकिन हर रोज 3 से 4 कप से ज्यादा चाय पीने के आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक दुष्प्रभाव हो सकते हैं.

चाय में कैफीन होता है. अगर आप एक दिन में कई कप चाय पीते हैं तो सावधान हो जाएं. आपकी ये आदत कई बीमारियों को बुलावा दे सकती है. दरअसल चाय में कैफीन के साथ फ्लोराइड और फ्लेवोनोइड होते हैं जो हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकते हैं. आइए जानते हैं चाय की आदत के कारण होने वाले कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में.

रोजाना 4 से 5 कप चाय पीने से हो सकते हैं ये दुष्प्रभाव

आयरन का अवशोषण कम होना
टैनिन, चाय में एक रासायनिक तत्व को कहा जाता है जिसका बहुत अधिक मात्रा में सेवन करने पर शरीर की आयरन को अवशोषित करने की क्षमता कम हो जाती है.

सीने में जलन हो सकती है
ज्यादा चाय का सेवन आपके सीने में जलन से भी जुड़ा हुआ है क्योंकि चाय ज्यादा पीने से एसिड रिफ्लक्स की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. ये आंत में एसिड के उत्पादन को बढ़ा सकता है. इसलिए अगर आपको सीने में जलन की समस्या हो रही है तो अपने चाय के सेवन को सीमित करें.

सिरदर्द की समस्या
कैफीन का सेवन कुछ प्रकार के सिरदर्द से राहत देने में मदद कर सकता है. हालांकि, जब बहुत अधित मात्रा में सेवन करते हैं तो तो विपरीत प्रभाव हो सकता है. चाय से कैफीन की नियमित खपत आवर्ती सिरदर्द में योगदान कर सकती है.कई बार चाय का सेवन सिरदर्द को ट्रिगर कर सकता है.

कुछ दवाओं के साथ नुकसान होता है
बड़ी मात्रा में सेवन करने पर चाय कुछ दवाओं के साथ बाधित हो सकती है. दरअसल चाय कई दवाओं के साथ रिएक्शन कर सकती है और आपके शरीर पर उनके असर को कम कर सकती है.

एंटीबायोटिक्स का असर कम हो सकता है
चाय अधिक पीने से एंटीबायोटिक दवाओं का प्रभाव शरीर पर कम पड़ता है. अगर आप एंटीबायोटिक्स के साथ चाय पीते हैं तो कुछ एंटीबायोटिक्स की प्रभावशीलता घट सकती है.

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