अगर हो जाये डेंगू, तो ‘रामबाण’ है ये चमत्कारी नुस्खा

डेंगू की बीमारी हो जाए तो मरीजों के लिए एक चमत्कारी नुस्खा ऐसा ‘रामबाण’ है, जो दवाइयों से ज्यादा असरदार है और चुटकियों में आराम देगी, जानिए कैसे।अगर हो जाये डेंगू, तो 'रामबाण' है ये चमत्कारी नुस्खाये है कालमेघ के पौधे, जिससे डेंगू और चिकनगुनिया का इलाज संभव है। कालमेघ का नाम एंड्रोग्राफिस पेनिकुलाटा है। पचक आयुर्वेदिक औषधि के रूप में इसका इस्तेमाल सदियों से भारत में हो रहा है। इसकी पत्तियों और तने के मैंथोलिक एक्सट्रेक्ट (रस) में तीव्र एंटीवायरल गुण पाये गये हैं, जो डेंगू और चिकुनगुनिया के वायरस को खत्म करने में सक्षम है।

एमडीयू रोहतक की माइक्रोबायोलॉजी लैब में एनिमल सेल कल्चर में इस पौधे के ये गुण सामने आए हैं। अब इससे असरकारक मॉलिक्यूल को अलग कर कारगर दवा बनाने की दिशा में काम हो रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार लैब में इसका टिश्यू कल्चर और एनिमल सेल कल्चर के परिणाम सकारात्मक रहे हैं। कालमेघ को भूमिनिंभ भी कहा जाता है।

भारत ही नहीं श्रीलंका और मलेशिया के लोग भी प्राचीनकाल से इस पौधे के औषिधिय गुणों का इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत में इसे पेट संबंधी विकारों में इस्तेमाल किया जाता था तो मलेशिया में बुखार में इसके रस को पपीते के रस के साथ इस्तेमाल किया जाता रहा है।

पीजीआई से आए सैंपल से लिया वायरस
औषधीय पौधों से दवा तैयार करने से पहले एमडीयू को शोध के लिए डेंगू व चिकनगुनिया का वायरस चाहिए था। यह जरूरत पीजीआई आए सैंपल से पूरी हुई है। लैब में सैंपल से वायरस लेकर उसका कालमेघ के एक्सट्रेक्ट के साथ टिश्यू कल्चर किया गया। इसमें पाया गया कि वायरस की ग्रोथ रुक गई। इसे इलाज की दिशा में एक बड़ी सफलता माना जा रहा है।

प्लेटलेट्स बढ़ाता है गिलोय
एमडीयू की माइक्रोबायोलॉडी लैब में हुए एक अन्य शोध में सामने आया है कि गिलोय से डेंगू व चिकनगुनिया का इलाज नहीं होता, बल्कि इससे सिर्फ प्लेटलेट्स बढ़ती हैं। प्लेटलेट्स कम होने के कारण प्लाजमा लीक हो जाता है। इससे ब्लीडिंग हो जाती है। यह मरीज के लिए घातक स्थिति होती है।

औषधीय पौधों से डेंगू व चिकनगुनिया वायरस का इलाज तलाशा जा रहा है। इसमें काफी हद तक सफलता मिली है। औषधीय पौधों का इन रोगों के वायरस पर सकारात्मक असर देखने को मिला है। इसमें तुलसी, गिलोय, कालमेघ मुख्य हैं। इन औषधीय पौधों से दवा बनाने पर शोध किया जारी है।

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