कुछ इस तरह, हाईप्रोफाइल कांडों को ‘रहस्यमय’ बना देती है पटना पुलिस…

पटना। बड़े से बड़े और जटिल से जटिल मामलों में गिरफ्तारियां कर खुद की तुलना स्कॉटलैंड पुलिस से करने वाली पटना पुलिस कुछ हाई-प्रोफाइल कांडों को भी रहस्यमय बना देती है। समय बीतता चला जाता है और कुछ महीने बाद अनुसंधानकर्ता कांड में अज्ञात के विरुद्ध चार्जशीट कर देता है, जिसमें लिखा होता है – अंतिम प्रतिवेदन, कोई साक्ष्य नहीं मिला। कुछ इस तरह, हाईप्रोफाइल कांडों को 'रहस्यमय' बना देती है पटना पुलिस...

पांच-छह साल में ऐसे कई हत्याकांड सामने आए, जिनके उद्भेदन करने में पुलिस ने दिलचस्पी नहीं ली और उसकी गुत्थी सुलझाने के बजाय मामले को रहस्य ही बना रहने दिया। कुछ मामलों में पुलिस ने दिखावे के लिए ताबड़तोड़ छापेमारी की पर अनुसंधान को सही दिशा नहीं मिल सकी।

इन मामलों में पटना पुलिस की विशेष सेल भी फेल साबित हुई। इक्का-दुक्का मामलों में संदेह के आधार पर पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा पर साक्ष्य समर्पित नहीं कर सकी। ऐसी गिरफ्तारियां उन हत्याकांडों में हुईं, जिनमें पुलिस ने हाथ-पांव नहीं मारा और वादी के बयान के आधार पर ही कार्रवाई की। लिहाजा, नतीजा ढाक के तीन पात रहा।

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