लॉकडाउन से अबतक कितना उबर पाया हैं उत्तराखंड, जानें आकड़े…
कोरोना संक्रमण के कारण तीन महीने के लिए लगे लॉकडाउन ने उत्तराखंड को कई तरह से नुकसान पहुंचाया। प्रदेश की विकास दर शून्य से भी नीचे पहुंच गई। ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था भले ही कुछ हद तक बच पाई हो लेकिन कोरोना का संक्रमण प्रदेश के पर्यटन से लेकर कारोबार तक को प्रभावित कर गया।
प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए चिंता की लकीर वैसे कोरोना के कारण शुरू हुए लॉकडाउन से पहले से ही खिंचनी शुरू हो गई थी। प्रदेश की विकास दर चार प्रतिशत तक पहुंच गई थी। कोरोना संक्रमण में तेजी आई तो लॉकडाउन मार्च में शुरू हुआ था और मई में जाकर खत्म हुआ। इसके बाद अनलॉक शुरू हुआ लेकिन लॉकडाउन की पाबंदियों ने तब तक खासा नुकसान पहुंचा दिया था।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित उनकी सरकार के कई मंत्री भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आए थे। इससे सरकार का कामकाज भी प्रभावित हुआ। सचिवालय में भी काम काज लंबे समय तक बंद रहा। अधिकारियों को घर से काम करना पड़ा लेकिन यह सचिवालय को ज्यादा रास नहीं आया।
विधानसभा का हाईब्रिड सत्र
कोरोना संक्रमण के कारण विधानसभा को भी अतिरिक्त मशक्कत करनी पड़ी थी। खुद विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल कोरोना से संक्रमित हुए और इस कारण विधानसभा सत्र की जिम्मेदारी विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान को संभालनी पड़ी थी। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश भी संक्रमण के कारण सत्र में शामिल नहीं हो पाई थीं।