कैसे और कब करें वैशाख अमावस्या पर पितरों की पूजा? जानिए तर्पण का समय

वैशाख अमावस्या को हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण दिन माना गया है। यह दिन पूर्वजों और पितरों की पूजा के लिए समर्पित है। इस तिथि पर लोग कई प्रकार की धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियां करते हैं, क्योंकि यह समय बहुत शक्तिशाली होता है। यह दिन पितृ पूजा, पितृ तर्पण, पिंड दान जैसे – कार्यों के लिए बहुत शुभ माना जाता हैं। इस साल वैशाख अमावस्या 8 मई 2024 को मनाई जाएगी।

पितरों की पूजा कब करनी चाहिए ?
पितृ पूजा हमेशा मध्याह्न समय के दौरान की जाती है। ऐसे में पितरों का तर्पण जल, सफेद फूल और काले तिल से आप कर सकते हैं। इसके साथ ही पितरों का पिंडदान सुबह 11 बजे से दोपहर 02 बजकर 30 मिनट के बीच किया जा सकता है। वहीं, गंगा स्नान व पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त या सुबह का समय अच्छा माना जाता है।

कैसे करें वैशाख अमावस्या की पूजा?
सुबह जल्दी उठें और पवित्र स्नान के लिए गंगा नदी में डुबकी लगाएं।
यदि किसी वजह से आप गंगा स्नान करने में असमर्थ हैं, तो घर पर ही स्नान के पानी में गंगाजल मिलाएं।
घर पर सात्विक भोजन बनाएं और ब्राह्मणों को आमंत्रित करें।
सबसे पहले बनी हुई रोटी गाय को खिलाएं।
इसके बाद किसी जानकार ब्राह्मण से पितृ तर्पण करवाएं और उनको भोजन खिलाएं।
उन्हें वस्त्र और दक्षिणा दें।
इस दिन हवन या यज्ञ करना भी शुभ माना जाता है।
इस दिन पितृ गायत्री का आयोजन करने से भी पितृ दोष समाप्त होता है।
इस तिथि पर कुत्ते, कौवे, चींटियों को भोजन खिलाना भी अनुष्ठान का मुख्य भाग माना जाता है।


पितृ तर्पण मंत्र
ॐ पितृ देवतायै नम:।।
पितरों की मुक्ति के लिए पितृ गायत्री पाठ भी किया जा सकता है।।

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