कौन कहता है मुसलमान राम के लिए नहीं दे सकते जान, मंदिर के लिए दे दी करोड़ो की जमीन

एक तरफ जहां कुछ लोग मंदिर-मस्जिद को चुनावी मुद्दा बना राजनीति की चाल चलते हैं वहीं दूसरी तरफ बिहार के गोपालगंज में एक मुसलमान ने ऐसी नजीर पेश की है जिसकी जितनी सराहना की जाए उतना ही कम है। हिंदू-मुस्लिम के बीच शांति का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे जानने के बाद हर कोई इस मुस्लिम परिवार की तारीफ कर रहा हैं।

कौन कहता है मुसलमान राम के लिए नहीं दे सकते जान, मंदिर के लिए दे दी करोड़ो की जमीनदेश में जहाँ मंदिर मस्जिद के निर्माण पर देश को दो भागों में बाँट दिया गया है और उसपर राजनीती की रोटी सेकी जाती है इसी सब के बीच एक मुस्लिम ने पूरे देश में एक मिसाल कायम की है। बिहार के गोपालगंज के एक मुस्लिम परिवार में मंदिर निर्माण करने के लिए एक अपने करोड़ों रुपए की जमीन हंसते हुए दान कर दी। दरअसल मंदिर के सामने मुसलमान परिवार की जमीन दो समुदाय में तनाव और मारपीट की वजह न बने और माहौल शांत बना रहे इसलिए परिवार ने जमीन मंदिर को ही दान कर दी।

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बताया जा रहा है कि गोपालगंज जिले के कुचायकोट में रामजानकी मंदिर के पास और NH-28 के किनारे मुसलमान समुदाय के लोगों की पुश्तैनी जमीन थी। वहीं मंदिर से सटे दो कट्ठा जमीन मुन्ना साह उर्फ मन्नू दीवान की थी जिसे लेकर अक्सर विवाद होता रहता था। असल में क्योंकि श्रद्धालुयो को मंदिर में जाने के लिये मन्नू दीवान की जमीन से गुज़र कर ही जाना पड़ता है जिस वजह से जमीन में लगी फसलें नष्ट हो जा रही थी। अभी कुछ रोज पहले मंदिर निर्माण का कार्य चल रहा था जिसे लेकर पुराना विवाद एक बार फिर से गरमा गया और इसबार यह विवाद काफी दिनों तक चला, जिसे बाद में काफी मशक्कत के बाद स्थानीय लोगों की मदद से सुलझाया गया।

काफी सोच विचार के बाद इस विवाद को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए जमीन मालिक मन्नू शाह ने इसे मंदिर को डोनेट कर दिया। मुसलमान के द्वारा राम-जानकी मंदिर को डोनेट की गई जमीन पर मंदिर समिति के आयोजक अर्धेन्दु बाबू ने कहा कि यह फैसला अपने आप में एक मिसाल है जिसकी चर्चा पूरे जिले में हो रही है। वहीं मुसलमान परिवार के द्वारा किए गए इस फैसले से दोनों समुदाय के लोग काफी खुश हैं। अगर इसी तरह अयोध्या मामले में भी दोनों समुदाय के लोग एक होकर काम कर दे तो अय्योध्या का मंदिर मस्जिद विवाद जल्द ही खत्म हो सकता है।

जामीन मालिक मन्नू शाह बताते है कि आपसी प्रेम के आगे ऐसा कोई विवाद नहीं जो टिक सके। मन्नू यह भी कहते है कि अगर एक हिन्दू या मूसलमान के इस तरह के फैसले से पूरे गांव या जिले का माहौल बदल सकता है तो हमारे देश के माननीय नेता लोग कुछ इस तरह की भावना दिखाते तो आज हमारे देश की तस्वीर कुछ और ही होती।

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