सीतापुर जिले के खैराबाद क्षेत्र में लंबे समय से आतंक का पर्याय बने आदमखोर कुत्तों की अब शामत आ गई है। 9 बच्चों की मौत के बाद भले ही प्रशासन न जागा हो, लेकिन लोगों के सब्र का बांध टूट चुका है। लोग खेती किसानी, मेहनत मजदूरी का काम छोड़कर बस कुत्तों के पीछे ही भाग रहे है। खेत, खलिहान, नहर, तालाब जहां भी आदमखोर नजर आ रहे हैं, सैकड़ों की भीड़ उन आदमखोरों पर टूट रही है। जिसके बाद उन्हें मौत के घाट उतार रही है। कुछ कुत्तों को मारने के बाद फांसी के फंदे पर टांगा गया है। दूसरी तरफ प्रशासन पूरी तरह से फेल नजर आ रहा है। प्रशासन के आंकड़ों में दो कुत्ते मारे गए हैं।
बता दें कि खैराबाद क्षेत्र में आदमखोर कुत्तों का जबरदस्त आतंक है। ये कुत्ते अब तक नौ मासूमों को नोचकर खा चुके हैं, जबकि करीब 18 बच्चों को बुरी तरह जख्मी कर चुके हैं। मंगलवार को जब इन कुत्तों ने तीन बच्चों को निवाला बनाया, तब क्षेत्र के बाशिंदों का डर आक्रोश में बदल गया। बुधवार को देखा गया कि बद्री खेड़ा, कोलिया, महेशपुर, पहाड़पुर, रहिमाबाद, गुरपलिया, नेवादा, टिकरिया, जैनापुर, जैती खेड़ा, कस्बा खैराबाद, लड्डूपुर आदि गांवों के सैकड़ों ग्रामीण अपना दैनिक काम छोड़कर आदमखोरों की तलाश में जुट गए हैं। हालत यह है कि खेत, बाग, तालाब हर तरफ लोग कुत्तों को तलाशते और उन्हें मौत के घाट उतारते नजर आए।
ऐसे परिवार जिन्होंने अपने बच्चों को खोया है, वे बेहद आक्रोशित नजर आ रहे थे। खैराबाद क्षेत्र में करीब 30 कुत्तों को ग्रामीणों ने मौत के घाट उतार दिया है। हलांकि, प्रशासन सिर्फ दो कुत्तों के मारे जाने की ही पुष्टि कर रहा है। इधर नरही की प्रधान सुमन जायसवाल ने बताया कि उनके क्षेत्र में दो कुत्तों के मारे जाने की खबर है। ठीक इसी तरह से कोलिया के प्रधान अतीक अहमद ने बताया कि उनके क्षेत्र में 1 कुत्ता मारा गया है। (कुत्तों की तलाश में लाठी-डंडे व पत्थर लेकर घूम रहे ग्रामीण।)
दहशत में क्षेत्र के लोग
खैराबाद क्षेत्र में कुत्तों से दहशत का आलम ये है कि लोग अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए उन्हें घर में ही कैद किए हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बच्चे घर में बंद जरूर हैं, लेकिन इससे वे सुरक्षित है। महिलाएं जहां भी कुत्ता देखती हैं अपने बच्चों को गोद में उठा लेती हैं। क्या गांव, क्या खेत-खलिहान। हर तरफ आदमखोरों की दहशत साफ नजर आ रही है। (लोग इस तरह अपने बच्चों की हिफाजत कर रहे हैं।)
अपने बच्चों को खोने वालों को नहीं मिल रही कोई सरकारी मदद
अपने कलेजे के टुकड़ों को खोने वाले परिवार बेहद दुखी हैं। पीड़ितों का कहना था कि इतना बड़ा हादसा होने के बावजूद भी, जिम्मेदार अफसर सुधि नहीं ले रहे हैं। पीड़ितों ने यहां तक कह डाला कि जो मौतें हुईं उनकी जिम्मेदारी प्रशासन की है। अगर समय रहते प्रशासन चेत जाता, तब और मौतों की नौबत न आती। (अपने परिवार के बच्चों को खोने वाले ग्रामीण।)
मांस न मिलने पर आदमखोर हुए कुत्ते
एक्सपर्ट डॉ. विकास सिंह कहते हैं कि इस क्षेत्र के कुत्ते अचानक ही आदमखोर नहीं हुए हैं। पहले यहां तमाम बूचड़खाने चलते थे। ये कुत्ते क्षेत्र के बूचड़ खानों से निकलने वाला मांस खाते होंगे। जिसकी वजह से मांस खाने की इनकी आदत बन गई। अब बूचडख़ाने बंद हो गए हैं, इससे ये मांस की तलाश में भटक रहे हैं। पहले इन कुत्तों ने एक दो इंसानों पर हमला किया होगा। इंसानों का खून मुंह में लगने के बाद ये आदमखोर हो गए। अब ये इंसानों पर हमला कर रहे हैं। इनसे बचने के लिए घर से जब भी कहीं बाहर निकले, तो लाठी व डंडा हाथ में जरूर रखें। हो सके तो अकेले कहीं न जाएं, दो तीन लोग साथ में ही रहें। (कुत्तों के शिकार पर निकले ग्रामीण।)