सेहत ही नहीं खूबसूरती का भी दुश्मन है सिगरेट का धुंआ, स्किन को बनाता है बेजान

स्मोकिंग हमारी सेहत के लिए कई तरह से हानिकारक ( Smoking Side Effects) होती है। यह लंग कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियों की वजह बन सकती है, जो कई बार जानलेवा भी साबित होती है। यही वजह है कि हेल्थ एक्सपर्ट्स स्मोकिंग से दूरी बनाने की सलाह देते हैं।
सिर्फ सेहत (Cigarette Smoke Effect On Health) ही नहीं स्मोक करने से स्किन (Smoking Effects On Beauty) और बालों पर भी बुरा असर पड़ता है। इन बुरे प्रभावों के बारे में जानने के लिए हमने मैक्स मल्टी स्पेशियलिटी सेंटर, नोएडा में हेयर ट्रांसप्लांट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. शोभित कैरोली से बातचीत की।
क्या कहते हैं डॉक्टर?
डॉक्टर ने बताया कि स्मोकिंग एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है, जो त्वचा और बालों सहित शरीर के लगभग हर अंग को प्रभावित करता है। स्मोकिंग उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज करता है, त्वचा की लोच को नुकसान पहुंचाता है और बालों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। स्किन पर इसके निम्न बुरे प्रभाव भी देखने को मिलते हैं-
समय से पहले बुढ़ापा और झुर्रियां
स्मोकिंग करने से त्वचा की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया तेज होती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि निकोटीन ब्लड वेसल्स को सिकोड़ता है, जिससे ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है। साथ ही सिगरेट के धुएं में मौजूद हानिकारक केमिकल कोलेजन और इलास्टिन को खत्म कर देते हैं, जो स्किन की इलास्टिसिटी बनाए रखने के लिए जरूरी प्रोटीन है।
इसके अलावा अध्ययनों से संकेत मिलता है कि लंबे समय तक स्मोकिंग करने वालों में धूम्रपान न करने वालों की तुलना में झुर्रियां और फाइन लाइंस जल्दी विकसित होती हैं, खासकर मुंह और आंखों के आस-पास।
डल और अनईवन स्किन
सिगरेट के धुएं में मौजूद विषाक्त पदार्थ एक राख जैसी, असमान त्वचा का रंग बनाते हैं। कम ब्लड सर्कुलेशन के कारण ऑक्सीजन की कमी होती है, जिससे त्वचा पीली या भूरी दिखाई देती है। शोध से पता चला है कि स्मोकिंग करने वालों की त्वचा अक्सर धब्बेदार या हाइपर पिगमेंटेड होती है, खासकर उनके चेहरे और हाथों की स्किन पर।
स्किन कैंसर का खतरा
स्मोकिंग करने से स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, एक तरह के स्किन कैंसर का खतरा बढ़ता है। तम्बाकू में मौजूद कार्सिनोजेन्स इम्युनिटी को कमजोर करते हैं, जिससे शरीर के लिए कैंसर सेल्स के म्यूटेशन से लड़ना मुश्किल हो जाता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी ने चेतावनी दी है कि स्मोक करने वालों को ऐसा न करने वालों की तुलना में स्किन कैंसर होने का खतरा काफी ज्यादा होता है।
घाव भरने में देरी और निशान
धूम्रपान ब्लड फ्लो और ऑक्सीजनेशन को सीमित करके घाव भरने की शरीर की क्षमता को कम करता है। इससे चोट या सर्जरी के बाद रिकवरी में लंबा समय लगता है और स्किन पर इन्फेक्शन और खराब निशान पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। मेडिकल स्टडी में पाया गया है कि धूम्रपान करने वालों में सर्जरी के बाद हाइपरट्रॉफिक (उभरे हुए) निशान विकसित होने की संभावना ज्यादा होती है।
सोरायसिस और अन्य स्किन डिसऑर्डर
स्मोकिंग को सोरायसिस के बढ़ते जोखिम से जोड़ा गया है, जो एक ऑटोइम्यूनस्किन डिसऑर्डर है, जिसमें लाल, पपड़ीदार पैच होते हैं। शोध बताते हैं कि निकोटीन इम्यून सिस्टम को बाधित करता है और सूजन को बढ़ावा देता है, जिससे एक्जिमा और ल्यूपस जैसी स्किन से जुड़ी कंडीशन खराब हो जाती है।