CMO हत्याकांड में CBI कोर्ट का बड़ा फैसला

लखनऊ: पूर्व सीएमओ, परिवार कल्याण डॉक्टर बीपी सिंह व पूर्व सीएमओ डॉक्टर विनोद कुमार आर्य हत्याकांड में सीबीआई कोर्ट के विशेष जज अनुरोध मिश्रा ने आरोपी आनंद प्रकाश तिवारी को उम्रकैद के साथ 58 हजार जुर्माना भी लगाया। डा. विनोद आर्य की हत्या 27 अक्टूबर 2010 को कर दी गई थी। उनकी पत्नी डॉ. शशि कुमारी ने विकास नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि घटना वाले दिन सुबह उनके पति टहलने गए थे तभी हमलावरों ने उनके पति को गोली मार दी थी। डा. विनोद की हत्या के 6 माह के अंदर सीएमओ बीपी सिंह की हत्या गोमती नगर थाना क्षेत्र में कर दी गई थी।

भाई ने दर्ज कराई थी हत्या की रिपोर्ट
डा. बीपी सिंह की हत्या की रिपोर्ट उनके चचेरे भाई इंद्र प्रताप सिंह ने 2 अप्रैल 2011 को गोमतीनगर थाने दर्ज कराई थी। जिसमें कहा है कि उनके चचेरे भाई बीपी सिंह लखनऊ में सीएमओ परिवार कल्याण के पद पर कार्यरत थे। घटना वाले दिन सुबह छह बजे जब वह टहलने गए थे, तभी दो अज्ञात लोगों ने घर से बमुश्किल 500 मीटर की दूरी पर गोली मारकर हत्या कर दी। उस समय उनके साथ डा. पीके सिंह भी टहल रहे थे तथा घटना को उनके अलावा कई लोगों ने देखा था। दोनों मामलों की विवेचना स्थानीय पुलिस द्वारा प्रारंभ की गई थी। परन्तु यह दोनों हत्याएं सीएमओ स्तर के अधिकारियों एवं परिवार कल्याण विभाग से जुड़ी होने के कारण विवेचना सीबीआई को सौंप दी गई थी।

डिप्टी सीएमओ योगेंद्र सिंह को भी किया गया था गिरफ्तार
इसी मामले में आरोपी बनाए गए डिप्टी सीएमओ योगेंद्र सिंह को भी गिरफ्तार किया गया था। जिनकी हत्या न्यायिक अभिरक्षा में रहते हुए जिला जेल लखनऊ में कर दी गई थी। अदालत के समक्ष सीबीआई के एसपीओ दीप नारायण ने कहा कि दोनों की हत्या के आरोपी को मृत्युदंड दिया जाए। सीबीआई कोर्ट के विशेष जज अनुरोध मिश्रा ने के आरोपी आनंद प्रकाश तिवारी को उम्र कैद सुनाई और 58 हजार रुपये 2 का जुर्माना भी लगाया।

कई गवाह मुकरे, दो शूटर बरी, एक दोषी करार
सीएमओ हत्याकांड से जुड़ा शूटर अंशु दीक्षित पेशी के दौरान फरार हो गया था हालांकि बाद में पकड़ा गया और जेल में हुए शूटआऊट में मारा गया। शूटर आनंद प्रकाश तिवारी के पास से बरामद हत्या में प्रयुक्त पिस्टल की विधि विज्ञान प्रयोगशाला में बैलेस्टिक जांच कराई गई थी। जिसमें ये सिद्ध हो गया कि वारदात के स्थल पर मिले 7.62 बोर के खोखे आनंद प्रकाश तिवारी के पास से मिली पिस्टल के ही थे। पर्याप्त वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर उसे दोषी करार दिया गया। हालांकि इस कांड में गवाह बनाए गए कई लोग मुकर गए। जिसका फायदा आरोपियों को हुआ। अदालत ने शूटर रामकृष्ण वर्मा और विनोद शर्मा को दोषमुक्त कर दिया गया।

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