
नया साल करियर के लिहाज से कैसा होगा? किस फील्ड में करियर बनाने से फ्यूचर सिक्योर रहेगा? ये ऐसे सवाल हैं, जो कोरोना महामारी की मुश्किलों के बीच ज्यादातर युवाओं के दिमाग में हैं। आइये, यहां आपको बताते हैं उन करियर विकल्पों के बारे में, जो नये साल में पहले से कहीं ज्यादा प्रभाव के साथ उभरकर सामने आएंगे और जिनकी मांग भी सबसे ज्यादा रह सकती है…
नया साल बस आने को है। बीते करीब दो साल कोरोना महामारी के साए में बीते हैं। अभी भी ओमिक्रोन जैसे इसके नये स्वरूपों को लेकर चिंता बनी हुई है। इस महामारी ने एक ओर करियर और रोजगार को लेकर चुनौतियां पैदा की हैं, तो दूसरी कई विकल्प पहले से कहीं ज्यादा प्रभाव के साथ उभरकर सामने आए हैं। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि कोरोनाकाल में डिजिटल टेक्नोलाजी की पहुंच और उपयोगिता बढ़ी है।
वर्क फ्राम होम के दौरान लोगों ने आइटी की उपयोगिता को और बेहतर तरीके से अनुभव किया। विशेषज्ञों की मानें, तो डिजिटल टेक के इस्तेमाल का यही ट्रेंड नये साल में भी करियर डिमांड की दिशा तय करेगा। यही वजह है कि लोग परंपरागत पाठ्यक्रमों में ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बजाय ऐसे करियर की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जिनमें उन्हें जल्दी और अच्छा पैकेज मिले। वर्ल्ड इकोनामिक फोरम के मुताबिक, जिस तरह से कंपनियां नयी टेक्नोलाजी को अपनाने और कामकाज में बदलाव की दिशा में बढ़ रही हैं, उससे हेल्थकेयर, स्टेम (साइंस, टेक्नोलाजी, इंजीनियरिंग व गणित) और वर्कफोर्स मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में आने वाले दिनों में 12 करोड़ से ज्यादा रोजगार के अवसर सामने आएंगे।
अगर वर्तमान परिस्थितियों और बदलते ट्रेंड की बात करें, तो आने वाले वर्षों में डाटा साइंटिस्ट/एनालिस्ट, साइबर सिक्युरिटी एक्सपर्ट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्पेशलिस्ट, क्लाउड इंजीनियर, आइओटी इंजीनियर, ब्लाकचेन इंजीनियर और डिजिटल मार्केटिंग मैनेजर के तौर पर करियर की डिमांड ज्यादा रहेगी। निश्चित तौर पर इन करियर ट्रेंड के हिसाब से ही आगे की पढ़ाई के मामले में भी डिमांड दिखेगी। भले ही अभी इस तरह के करियर विकल्प अपने देश में अभी शुरुआती दौर में हैं, लेकिन इस समय इस ट्रेंड को समझकर इसके साथ बढ़ने वाले युवा ही आगे चलकर सबसे ज्यादा फायदे में रहेंगे।
सवाल यह है कि बदलते ट्रेंड के अनुसार विभिन्न डिमांडिंग करियर विकल्पों की दिशा में बढ़ने के लिए छात्रों के सामने राह क्या है? आइये एक-एक करके इन पर विचार करते हैं:
1. डाटा साइंटिस्ट/एनालिस्ट: नये दौर के करियर के रूप में सबसे पहले बात करते हैं डाटा एनालिस्ट की। कोरोना की वैश्विक महामारी के दौरान डाटा की खपत कई गुना बढ़ जाने से इस समय इस डाटा बेस को मैनेज करने के लिए डाटा साइंस/डाटा एनालिटिक्स के विशेषज्ञों की भारी जरूरत देखी जा रही है। क्योंकि तमाम बिजनेस कंपनियों को इसी डाटाबेस के सहारे अपने कारोबार में और अधिक विस्तार की संभावनाएं दिख रही हैं। ये डाटा साइंटिस्ट/ एनालिस्ट ही इस तरह के डाटा का अध्ययन और उसका विश्लेषण करके बिजनेस बढ़ाने लायक जानकारियां कंपनियों के लिए निकालते हैं। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स के साथ-साथ पोस्ट ग्रेजुएशन लेवल पर भी विषय चुनने का विकल्प मिलने लगा है। डाटा एनालिटिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए किसी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन में कम से कम 50 प्रतिशत अंक होने चाहिए। इसमें साइंस या कंप्यूटर साइंस के छात्रों को वरीयता दी जाती है। इसी तरह कुछ संस्थानों द्वारा डाटा साइंस में बीटेक कोर्स भी आफर किए जा रहे हैं, जिसे गणित विषय से 12वीं करने वाले युवा कर सकते हैं। इस क्षेत्र में पैकेज भी अच्छे मिल रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक, बिजनेस और डाटा एनालिस्ट के तौर पर करियर की शुरुआत में पांच से 10 लाख रुपये सालाना का पैकेज मिल जाता है। आगे डिग्री और अनुभव के साथ यह पैकेज भी बढ़ता जाता है।
2. साइबर सिक्युरिटी एक्सपर्ट: इनदिनों डाटा एनालिस्ट की तरह ही साइबर सिक्युरिटी एक्सपर्ट भी एक उभरता हुआ करियर विकल्प है। पिछले कुछ समय में आनलाइन कामकाज और ट्रांजैक्शन तेजी से बढ़ने से साइबर फ्राड और हैकिंग के मामले भी कई गुना बढ़ गए हैं। दरअसल, जैसे-जैसे कंपनियां नयी-नयी डिजिटल टेक्नोलाजी अपना रही हैं, वैसे-वैसे अपने प्लेटफार्म को सुरक्षित रखने के लिए साइबर सिक्युरिटी का महत्व भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में इस तरह के एक्सपर्ट की मांग बढ़ना स्वाभाविक है। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए कंप्यूटर साइंस, आइटी, सिस्टम इंजीनियरिंग या ऐसे ही अन्य क्षेत्र में डिग्री की जरूरत होती है।
इसके अलावा सीप्लसप्लस, जावा, पाइथन, रूबी, गो या पावर शेल जैसे लैंग्वेज/टूल्स पर अच्छी पकड़ भी जरूरी है। 12वीं के बाद साइबर सिक्युरिटी या एथिकल हैकिंग में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स करके भी करियर बनाया जा सकता है। भारत में साइबर सिक्युरिटी इंजीनियर का शुरुआती औसत पैकेज 5.25 लाख रुपये सालाना है। वहीं, आस्ट्रेलिया में भारतीय रुपये के हिसाब से एक साइबर सिक्युरिटी इंजीनियर का पैकेज औसतन 70 लाख रुपये और ब्रिटेन में 50 लाख रुपये सालाना के लगभग है।
3. एआइ स्पेशलिस्ट: नेक्स्ट जेन टेक्नोलाजी के बढ़ते उपयोग के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) स्पेशलिस्ट के रूप में भी करियर के मौके लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसा इसलिए कि एआइ और एआइ आधारित तकनीक का उपयोग आजकल पढ़ाई-लिखाई, घर-आफिस के कामकाज से लेकर दूसरे तमाम क्षेत्रों में काफी हो रहा है। आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग हेल्थकेयर, कृषि और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में भी होने की संभावना है। प्रोग्रामिंग, सिस्टम एनालिसिस में मजबूत पकड़ और कई कंप्यूटर लैंग्वेज में दक्ष छात्रों के लिए यह बहुत अच्छा विकल्प हो सकता है।
गणित, डाटा साइंस, स्टैटिस्टिक्स या कंप्यूटर साइंस में बैचलर्स डिग्री वाले युवा इस फील्ड में आ सकते हैं। दो से चार साल के अनुभव के बाद अपनी दक्षता के हिसाब से यहां पांच लाख से 20 लाख रुपये सालाना तक का पैकेज मिल सकता है। चार से आठ साल के अनुभव वाले एआइ स्पेशलिस्ट 35 से 50 लाख रुपये सालाना और 10 साल से ज्यादा के अनुभव पर एक करोड़ रुपये सालाना तक का पैकेज भी मिल सकता है।
4. क्लाउड इंजीनियर: डिजिटल टेक्नोलाजी को अपनाने के साथ ही क्लाउड स्टोरेज और क्लाउड कंप्यूटिंग की मांग भी बढ़ी है। इसी के साथ क्लाउड इंजीनियर का करियर आप्शन भी उभरकर सामने आया है। क्लाउड इंजीनियर बनने के लिए कंप्यूटर साइंस/इंफार्मेशन टेक्नोलाजी/क्लाउड कंप्यूटिंग या अन्य संबंधित विषय में डिग्री की जरूरत होती है। बढ़ती मांग को देखते हुए अब कई इंस्टीट्यूट और शैक्षणिक संस्थान क्लाउड कंप्यूटिंग में सर्टिफिकेट कोर्स भी कराने लगे हैं। भारत में क्लाउड इंजीनियर औसतन साढ़े सात से आठ लाख रुपये सालाना तक पैकेज पा रहे हैं।
5. मार्केटिंग मैनेजर/डिजिटल मार्केटिंग मैनेजर
ओसवाल बुक्स के सीईओ प्रशांत जैन ने बताया कि नये साल में करियर ट्रेंड के रूप में मार्केटिंग मैनेजर के रूप में करियर का विकल्प नया तो नहीं है, लेकिन मौजूदा दौर में कारोबार के बदलते स्वरूप को देखते हुए इनकी भूमिका कहीं ज्यादा बढ़ गयी है। खासतौर से कोरोना काल के बाद इसमें और उछाल आया है, क्योंकि आजकल हर तरह के उत्पादों और सेवाओं का इंटरनेट के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। इसमें करियर बनाने के लिए मैनेजमेंट/मार्केटिंग में बैचलर्स डिग्री होनी चाहिए। आगे काबिलियत और विकल्प बढ़ाने के लिए एमबीए भी किया जा सकता है।
इसके अलावा, डिजिटल मार्केटिंग की स्किल सीखकर भी इस फील्ड में आगे बढ़ सकते हैं। किसी भी बैकग्राउंड के ग्रेजुएट डिजिटल मार्केटिंग का यह कोर्स करके खुद को डिजिटल मार्केटिंग मैनेजर के रूप में आगे बढ़ा सकते हैं। मार्केटिंग मैनेजर के रूप में इस फील्ड में चार से छह लाख रुपये के सालाना पैकेज से शुरुआत होती है। अनुभव के साथ आगे चलकर 15 से 20 लाख रुपये सालाना का पैकेज आसानी से मिल जाता है। वहीं, भारत में कुशलता के आधार पर डिजिटल मार्केटिंग में 25-30 हजार रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक की मासिक सैलरी आफर की जा रही है।

नौकरीपेशा युवाओं के लिए तरक्की के रास्ते
युवाओं और फ्रेशर्स की बात तो हो गयी, अब प्रश्न आता है कि नौकरीपेशा लोगों को नये साल में आगे बढ़ने के लिए क्या करना चाहिए? वैसे तो, किसी नौकरीपेशा के लिए यह तो संभव नहीं है कि वह एकदम से नये करियर विकल्प चुन ले। यह समझदारी भरा कदम कहा भी नहीं जा सकता है, लेकिन मौजूदा करियर में ही अपनी योग्यता को बढ़ाते हुए अपने लिए नये अवसर बनाना हर किसी के लिए संभव है। देखा जाए तो नये ट्रेंड के हिसाब से कोई डिप्लोमा/सर्टिफिकेट कोर्स करते हुए भी अवसर बढ़ाए जा सकते हैं।
इनदिनों आनलाइन प्लेटफार्म्स के जरिये बहुत से ऐसे शार्टटम कोर्स कराये जा रहे हैं, जिसे न सिर्फ घर बैठे अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं, बल्कि उससे अपनी स्किल और योग्यता को भी बढ़ा सकते हैं। सबसे अच्छी बात है कि इस तरह के कोर्सेज की फीस भी बहुत कम होती है। कुल मिलाकर, नया साल नयी योग्यताओं के साथ नयी ऊंचाई छूने का अवसर है। हम सभी के लिए समय रहते बदलती धारा को समझकर उसके अनुरूप स्वयं को ढालना ही समझदारी है।
हाइलाइट्स
-45.97 प्रतिशत युवा ही इस समय हैं देश में हाइली एंप्लायएबल।
-51.44 प्रतिशत तक महिलाएं हैं देश में इस समय हाइली एंप्लायएबल।
-20 प्रतिशत तक ई-कामर्स, आइटी/आइटीईएस, बीएफएसआइ तथा फार्मा सेक्टर्स में अधिक हायरिंग होने की उम्मीद है नये साल में क्वालिफाइड और स्किल्ड प्रोफेशनल्स की।
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(इंडिया स्किल्स रिपोर्ट 2022 के अनुसार)
चुनें मन की राह
एनआइईटी, ग्रेटर नोएड के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट रमन बत्रा ने बताया कि बारहवीं के बाद अपने लिए सही स्ट्रीम का चयन किसी भी युवा के लिए टर्निंग प्वाइंट होता है। ऐसे में होनहार किशोरों/युवाओं को मेरी यही सलाह होगी कि जिस फील्ड में उनकी गहरी रुचि हो, उससे संबंधित कोर्स का चुनाव ही करें। यह भी अवश्य देखें कि जहां आप दाखिला लेने जा रहे हैं, उस संस्थान में अपडेटेड और इंडस्ट्री ओरिएंटेड कोर्स के साथ एडवांस लैब का इंफ्रास्ट्रक्चर हो। साथ ही, वहां इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स के साथ नियमित रूप से इंटरैक्शन होता हो। इससे आपको बदलते समय के अनुसार खुद को निखारने और मनपसंद जाब पाने में मदद मिलेगी।