बिहार में IPL के हर मैच में टॉस से लेकर बॉल, विकेट और खिलाडिय़ों पर लग रहा दांव

पटना। आइपीएल मैच शुरू होते ही राजधानी पटना के सटोरी सक्रिय हो गए और रोजाना करोड़ों रुपयों की हेरा-फेरी जारी है। क्रिकेट प्रेमियों के अलावा एक वर्ग ऐसा भी है, जो मैच के टॉस से लेकर हर बॉल को गंभीरता से देख रहा है। कारण, हर गेंद पर दाव लगा है। कइयों की बसी-बसायी दुनिया उजड़ रही है, कई कारोबारी कंगाल हो रहे और कुछ एक झटके में मालामाल हो रहे हैं।बिहार में IPL के हर मैच में टॉस से लेकर बॉल, विकेट और खिलाडिय़ों पर लग रहा दांव

इस खेल में व्यापारियों से लेकर नवयुवक तक शामिल हैं। दिल्ली मुंबई और दुबई में बैठे सट्टा बाजार के मास्टर लोकल एजेंट्स के माध्यम इस बार के आइपीएल में भी अपना कारोबार राजस्थान, यूपी, बिहार सहित अन्य राज्यों में फैलाए हुए हैं। नए ग्राहक सोच समझकर बना रहे है और पुराने ग्राहक पहले से इनके संपर्क में है।

इन्हें पकडऩा मुश्किल नहीं नामुमकिन

सूत्रों की मानें तो पटना सहित अन्य टाउन एरिया में आइपीएल के हर मैच पर सट्टा लगाया जा रहा है। सटोरियों को पकडऩा किसी चुनौती से कम नहीं है। कारण है कि ये सटोरिये कोई भी बात सीधे नहीं करते हैं। इनकी बात कोड वर्ड होती हैं। कोड वर्ड को दो नाम के आधे आधे अक्षरों को जोड़कर जेनरेट किया जाता है। सट्टा लगाने के बाद आमने सामने बात नहीं होगी।

बात फोन पर ही होगी और जब तक सही कोड नहीं बोला जाएगा, तब तक फोन पर बात नहीं कर सकते हैं। इसमें खास बात यह भी है कि पूरा नेटवर्क आधुनिक संचार प्रणाली लेपटॉप, मोबाइल, वाइस रिकॉर्डर आदि पर ही चल रहा है। सूत्रों की मानें तो सट्टा का यह खेल शास्त्रीनगर, एसकेपुरी, बोरिंग रोड, दीघा, दानापुर, कंकड़बाग सहित अन्य कई इलाकों में चोरी चुपके चल रहा है।

सट्टेबाजी में फंसा था सराफा कारोबारी

आइपीएल-10 के दौरान पटना का एक सराफा कारोबारी सटोरियों के जाल में फंस गया था। फ्लैट तक बेचने की नौबत आ पड़ी थी। मामला जोनल आइजी नैय्यर हसनैन खान के संज्ञान में आया था। इसके बाद बुद्धा कॉलोनी थाने में केस दर्ज हुआ था। पुलिस ने जांच कर कार्रवाई शुरू की और एक सट्टेबाज आलोक को शास्त्रीनगर थाना क्षेत्र दबोच लिया। जांच में यह बात उजागर हुई थी कि ज्वेलर्स सहित कई छोटे और बड़े कारोबारी सट्टेबाजों के जाल में फंस लाखों रुपए गवां दिए, तो कुछ कर्ज के बोझ तले दब गए।

सट्टा हारने पर बच्चे का किया था अपहरण

आइपीएल-10 के मैच में 15 हजार रुपए का सट्टा हारने की भरपाई करने क लिए बाइकर्स गैंग के दो बदमाशों ने पिछले साल रेडियंट स्कूल के छात्र का अपहरण कर लिए थे। इस बात खुलासा मई 2017 में तब हुआ था जब पुलिस बच्चे को अपहरणकर्ताओं से मुक्त कराया और बदमाशों की गिरफ्तारी हुई। इसके बावजूद पुलिस सट्टेबाजों तक नहीं पहुंच सकी।

जयपुर से तय होता भाव, संपर्क में कई एजेंट

पिछले वर्ष शास्त्रीनगर से एक सट्टेबाज की गिरफ्तारी हुई थी। सात सट्टेबाजों का नाम उगला था। सट्टेबाजों का बॉस राजस्थान के जयपुर में होने की जानकारी मिली थी। जयपुर के सट्टेबाज का कनेक्शन मुंबई के सट्टाबाजार से था। पकड़े गए सट्टेबाज के मोबाइल की जब जांच हुई तो आइपीएल के समय लगातार जयपुर और मुंबई में बात हुई थी।

पुलिस सूत्रों की मानें तो कई छोटे और बड़े कारोबारी से लेकर युवा सट्टे में बहुत कुछ गंवा दिए, लेकिन डर से मुंह बंद रखा। इस वर्ष के आइपीएल में पुराने ग्राहकों ने दांव लगाया। अधिकांश एजेंट ऐसे हैं, जिनका बदमाशों से कनेक्शन है। बदमाशों के जरिए ही पैसा वसूली करते है और हवाला के जरिए रकम बॉस तक पहुंच रही है। यह पूरा नेटवर्क लैपटॉप, मोबाइल, वाइस रिकार्डर वगैरह पर ही चलता है। सट्टेबाज ने बताया था कि इसमें एजेंटों को सफेदपोश से लेकर कुख्यात का संरक्षण प्राप्त है। हालांकि यह खेल पिछले कई साल से चल रहा है। पुलिस की सुस्त रवैये से इनका खेल आज भी जारी है।

पहली गेंद से जीत तक चढ़ते उतरते हैं भाव

क्रिकेट के सट्टे बाजार की है और इस खेल में कोड है। खास बात यह है कि सट्टा लगाने वाले शख्स को लाइन कहा जाता है, जो एजेंट यानी पंटर के जरिए से बुकी (डिब्बे) तक बात करता है। एजेंट को एडवांस देकर अकाउंट खुलवाना पड़ता है, जिसकी एक लिमिट होती है। सट्टे के भाव को डिब्बे की आवाज बोला जाता है। सट्टेबाज 20 ओवर को लंबी पारी, दस ओवर को सेशन और छह ओवर तक सट्टा लगाने को छोटी पारी खेलना कहते हैं। मैच की पहली गेंद से लेकर टीम के जीत तक भाव चढ़ते उतरते हैं। सट्टेबाजों पर पुलिस की पैनी नजर है। गेसिंग से जुड़े कई गिरोह का उद्भोदन किया गया था। गिरफ्तार अभियुक्तों की अद्यतन स्थिति के बारे में पता लगाया जा रहा है। पूर्व में दर्ज मामले कांड़ों की समीक्षा की जाएगी।

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