पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी राजमहल जैसे बंगलों पर टिकी हैं नए मंत्रियों की निगाहें

लखनऊ। पूर्व मुख्यमंत्रियों से खाली कराए गए बंगलों पर अब प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों की निगाहें लगीं हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों ने सरकारी आवास खाली कर दिया है लेकिन अब आगे के लिए कयासों का दौर शुरू है। राजमहल जैसे इन बंगलों पर कई मंत्रियों की भी निगाहें हैैं। उन्होंने विभिन्न स्रोतों से जानकारियां जुटाई हैैं। साथ ही अपनी संभावनाएं टटोलने में लगे हैैं। मुख्यमंत्री आवास के बगल में स्थित चार कालिदास मार्ग तो जल्द ही किसी न किसी को आवंटित होना तय है। पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी राजमहल जैसे बंगलों पर टिकी हैं नए मंत्रियों की निगाहें

बंगले खाली करने के लिए प्रदेश सरकार की नोटिस मिलने के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह, राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह और बसपा प्रमुख मायावती ने राज्य संपत्ति विभाग को आवास वापस करने का पत्र सौंप दिया है।मुलायम और अखिलेश ने यह पत्र अभी नहीं सौंपा है  लेकिन सोमवार तक उनकी ओर से भी पत्र पहुंच जाने के आसार हैैं। एनडी तिवारी के बंगले को लेकर अभी असमंजस बना हुआ है। दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती होने की वजह से उन्होंने बंगला अभी खाली नहीं किया है। उन्हें एक-दो दिन में दोबारा नोटिस भेजी जा सकती है। 

बंगले खाली होने से पहले ही कई मंत्रियों की ओर से उनके निजी सचिवों ने राज्य संपत्ति विभाग के अपने संपर्कों से इनकी जानकारी और आवंटन की नियमावली जुटानी शुरू कर दी थी। राजनाथ सिंह को आवंटित चार कालिदास मार्ग तो किसी न किसी मंत्री को दिया जाना तय ही है। यह आवास मुख्यमंत्री आवास के ठीक बगल में स्थित है और सुरक्षा के नजरिए से भी इसमेें किसी न किसी का रहना जरूरी है। चूंकि सीएम आवास के दूसरी ओर सात विक्रमादित्य मार्ग उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को आवंटित है, इसलिए अधिक संभावना है कि चार कालिदास मार्ग दूसरे उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा को दिया जाए। डा. दिनेश शर्मा को जो बंगला आवंटित है, उसमें वह अभी तक गए नहीं हैैं। हालांकि कई और मंत्री भी यह बंगला चाहते हैैं। 

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सबसे बड़ा सवाल मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और मायावती के बंगले को लेकर है। उनके आलीशान बंगलों को लेकर एक संभावना यह भी है कि सरकार उन्हें अति विशिष्ट अतिथि गृहों के रूप में तब्दील कर दे। अलबत्ता मायावती के बंगले को लेकर सरकार के सामने समस्याएं खड़ी हो सकती हैैं। इस बंगले को श्रीकांशीराम यादगार विश्राम स्थल का दर्जा देकर मायावती ने राजनीतिक पांसा फेंक दिया है। ऐसे में सरकार क्या कदम उठाती है, यह देखने वाली बात होगी। 

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