हर रविवार करें सूर्य अष्टकम का पाठ, हमेशा बनी रहेगी सूर्य देव की कृपा…

कलयुग में इंसानों को आंखों से दिखाई देने वाले एकमात्र देखता हैं सूर्य देव. सूर्य देव को वैदिक ज्योतिष में पिता के समान माना गया है. सप्ताह में रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित किया गया है. सूर्य ग्रह ही एक मात्र ऐसा ग्रह है जो कुंडली में कभी वक्री चाल नहीं चलता. वैदिक धर्म ग्रंथों में सूर्य देव को प्रसन्न करने के बहुत से उपाय बताए गए हैं. उन्हीं में से एक है सूर्य अष्टकम का पाठ, ऐसा माना जाता है कि सूर्य अष्टकम का पाठ करने से सूर्य देव जल्द प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को सभी समस्याओं से छुटकारा दिलाते हैं.

इस विधि से करें सूर्य अष्टकम का पाठ
सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं. उसके बाद साफ वस्त्र धारण करके सूर्य देव को अर्घ्य दें. इसके लिए एक तांबे के कलश में जल, रोली या चंदन और लाल पुष्प डालकर अर्घ देना शुभ माना जाता है.

-पंडित जी के अनुसार इस पाठ को रविवार के दिन शुरू किया जाए तो सर्वोत्तम माना जाता है.
-जिस व्यक्ति को पूरी तरह से लाभ प्राप्त करना है तो उसे नियमित रूप से सूर्योदय के समय इसका पाठ करना चाहिए.
-सूर्य अष्टकम का पाठ पूरा होने के बाद सूर्य देव को मन ही मन स्मरण करते हुए नमस्कार करना चाहिए.
-किन्ही कारणों से यदि आप प्रतिदिन सूर्य अष्टकम का पाठ नहीं कर सकते हैं. तो हर रविवार अवश्य करें.
-जो व्यक्ति सूर्य अष्टकम का पाठ करता है उसे रविवार के दिन मांस, मदिरा और तेल का सेवन नहीं करना चाहिए. संभव हो तो रविवार के दिन नमक भी ना खाएं.

श्री सूर्य अष्टकम स्तोत्र

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर ।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥1॥

सप्ताश्व रथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।
श्वेत पद्माधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥2॥

लोहितं रथमारूढं सर्वलोक पितामहम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥3॥

त्रैगुण्यश्च महाशूरं ब्रह्माविष्णु महेश्वरम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥4॥

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