चुनाव बिहार में लकिन नींदें उड़ी यूपी के सैकड़ों अफसरों की, जानें क्या है वजह

लखनऊ: चुनाव की गहमागहमी बिहार (Bihar Assembly Election 2020) में मची है लेकिन, उसके शोर से यूपी के सैकड़ों अफसरों की नींद उड़ी हुई है. जब तक बिहार में मतदान खत्म नहीं हो जाता तब तक ऐसे अफसरों को चैन नसीब नहीं होगा. आखिर क्यों? जवाब है शराब (Liquor). बिहार में शराबबंदी है और चुनाव में इसकी भारी मांग. ऐसे में यूपी के सीमावर्ती जिलों से शराब की खेप बिहार तक न पहुंच सके, इसके लिए आबकारी विभाग के अफसर दिन-रात जूझ रहे हैं. जिला आबकारी अधिकारियों को तो दोधारी तलवार पर चलना पड़ा रहा है. जिस जिले की शराब बिहार में पकड़ी जा रही है वहां के अफसरों की दीवाली काली हो जा रही है. दो दुकानें पर कार्रवाई पिछले हफ्ते हो चुकी है.

10 जिलों की सीमाएं यूपी से लगी

यूपी के आबकारी विभाग में इन दिनों खलबली मची हुई है. जद्दोजहद इस बात की कि बिहार चुनाव में यूपी की शराब का इस्तेमाल वोट झटकने के लिए न हो. इसीलिए लगभग 18 जिलों में सख्ती जारी है. यही वजह है कि इन जिलों में पिछले महीनों के मुकाबले इस महीने ज्यादा शराब पकड़ी जा रही है. बता दें कि बिहार के 10 जिलों कैमूर, रोहतास, बक्सर, भोजपुर, गया, औरंगाबाद, सारण, सीवान, गोपालगंज और पश्चिमी चम्पारण की सीमा यूपी से लगती है. यूपी के सोनभद्र, चंदौली, गाजीपुर, बलिया, देवरिया, कुशीनगर और महाराजगंज की सीमा बिहार से लगती है.

कैसे रुकेगी शराब की तस्करी

यूपी ने बिहार से सटे 7 जिले और इनसे सटे बड़े जिलों में शराब की बिक्री पर नियंत्रण के लिए दोतरफा प्रतिबन्ध लगाया है. इन जिलों में कोई ग्राहक एक बार में दो खम्भा, तीन अद्धे और चार पव्वे ही खरीद सकता है. इसी तरह दुकानदार पिछले साल के मुकाबले सिर्फ 25 फीसदी ही ज्यादा अंग्रेजी शराब बेच सकता है. देसी शराब का कोटा सिर्फ पांच फीसदी ही बढ़ाकर उठाया जा सकता है. कुछ ही दिनों पहले बिहार के गोपालगंज में 35 पेटी देसी शराब पकड़ी गई थी. जांच में पता चला कि इसे कुशीनगर की दो दुकानों से भेजा गया था. आबकारी विभाग ने इन दोनों दुकानों को 14 दिनों के लिए निलम्बित कर दिया है.

डेढ़ गुना ज्यादा खेप पकड़ी गई

चंदौली के जिला आबकारी अधिकारी जितेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि सीमा पर कई चेक पोस्ट बनायी गयी हैं. दिन-रात गश्त जारी है. पिछले महीने के मुकाबले शराब की लगभग डेढ़ गुणा ज्यादा खेप इस महीने पकड़ी गई है, हालांकि इसका नाता लोकल लोगों से ही दिखा है. वहीं सोनभद्र के जिला आबकारी अधिकारी शैलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि धरपकड़ ज्यादा जोर से चल रही है. सोनभद्र का इलाका बिहार से सटा जरूर है लेकिन इस तरफ से शराब की तस्करी बहुत मुश्किल है और इन दिनों में गश्त बढ़ जाने से इसकी संभावना शून्य हो गयी है.

यूपी में दुकानों की मॉनिटरिंग

आबकारी विभाग में अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी ने कहा कि बिहार की सीमा से लगे यूपी के जिलों की 139 दुकानों की बिक्री की नियमित रूप से मॉनिटरिंग की जा रही है. किसी भी स्तर पर लापरवाही के लिए जिले के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी. हमने हरियाणा बॉर्डर पर भी सख्ती बरती है. बता दें कि बिहार में भी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पुलिस-प्रशासन और आबकारी विभाग शराब को लेकर सख्ती बरत रहा है. हालांकि दोनों राज्यों में सख्ती के बावजूद चुनाव में शराब की सप्लाई की खबरें भी आती रही हैं.

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