कोरोना महामारी के दौरान लगे लाकडाउन के कारण कैंसर के हर सातवें मरीज की सर्जरी में हुई देरी

कोरोना महामारी के दौरान लगे लाकडाउन के कारण कैंसर के हर सातवें मरीज की सर्जरी में देरी हुई। भारत समेत 61 देशों में किए गए अध्ययन से यह बात सामने आई है। द लैंसेट ओंकोलाजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि लाकडाउन के दौरान कई मामलों में कैंसर के मरीजों की पहले से तय सर्जरी भी नहीं हो पाई। कम आय वाले देशों में यह संकट सबसे ज्यादा देखा गया। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी आफ बर्मिंघम के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन को अंजाम दिया है।

कई लोगों ने असमय गंवाई जान : अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान लाकडाउन की वजह से सर्जरी में देरी कुछ कैंसर मरीजों के लिए जानलेवा साबित हुई। इन मरीजों को समय पर इलाज मिलता तो शायद उनकी जान बचाना संभव होता। पूर्ण लाकडाउन के समय छह हफ्ते से ज्यादा समय से सर्जरी का इंतजार कर रहे बहुत से मरीजों को अपनी पहले से तय सर्जरी रद करानी पड़ी। निम्न एवं मध्यम आय वर्ग वाले देशों में कैंसर के एडवांस्ड स्टेज वाले भी बहुत से मरीज सर्जरी नहीं करा पाए, जबकि उन्हें तत्काल जरूरत थी। यह भी देखा गया कि पूर्ण लाकडाउन के दौरान ऐसी जगहों पर भी लोगों को सर्जरी में परेशानी का सामना करना पड़ा, जहां संक्रमण के मामले अपेक्षाकृत कम थे।

उम्रभर के लिए बढ़ गया खतरा : कोरोना के कारण देर से सर्जरी कराने वाले मरीजों में भविष्य में दोबारा कैंसर होने का खतरा बढ़ा हुआ पाया गया। इस खतरे से बचने के लिए जरूरी है कि मरीज कुछ-कुछ समय के अंतराल पर नियमित रूप से जांच कराते रहें। डाक्टरों को यह प्रयास करना होगा कि सामान्य परिस्थिति से इतर, इस तरह के मरीजों को कम समय के अंतराल पर नियमित जांच के लिए बुलाएं।

गरीब देशों में हुई ज्यादा परेशानी : अध्ययन में पाया गया कि सर्जरी से वंचित रह जाने वाले इन मरीजों में हर आयु के लोग शामिल रहे। इनमें ऐसे मरीज भी थे, जिन्हें कैंसर के साथ कोई अन्य परेशानी नहीं थी और उन्हें समय पर इलाज देकर भविष्य में कई गंभीर खतरों से बचाना संभव हो सकता था।

jagran

भविष्य के लिए मिली जरूरी सीख : शोधकर्ताओं का कहना है कि वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लाकडाउन जैसा कदम बहुत जरूरी था, लेकिन इसके कुछ दुष्प्रभावों को देखते हुए भविष्य के लिए जरूरी सीख मिली है। सरकारों को ध्यान देना होगा कि बात चाहे कोरोना की हो या ऐसे ही किसी अन्य संक्रमण की, लाकडाउन के समय भी यह सुनिश्चित करना होगा कि कुछ गंभीर मामलों में मरीजों को पर्याप्त इलाज मिलता रहे। अध्ययन के नतीजे सरकारों को भविष्य में ऐसी किसी परिस्थिति में निर्णय लेने में मदद करेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button