एक झुनझुने के लिए हुई हत्या, गवाहों के कारण 28 साल तक नही हुआ फैसला

हाईकोर्ट ने झुनझुने को लेकर हुए झगड़े में 28 साल बाद दुकानदार की हत्या के दो आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। अदालत ने दो चश्मदीदों के बयानों को विरोधाभासी ठहराते हुए फैसला सुनाया। थाना गोकुल पुरी पुलिस ने अप्रैल 1990 में पांच लोगों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया था। कड़कड़डूमा अदालत ने तीन लोगों को 31 जनवरी 2002 को सजा सुनाई थी। फैसले के खिलाफ इन दोषियों की अपील 16 साल से विचाराधीन थी।

जस्टिस एस. मुरलीधर व जस्टिस आईएस मेहता ने संदेह का लाभ देते हुए हत्या के दोषी विजयपाल उर्फ कालू व राजेंद्र उर्फ राजू को हत्या के आरोपों से बरी कर दिया।

तीसरे आरोपी किशनपाल को धमकी देने का दोषी माना लेकिन काटी गई सजा के आधार पर छोड़ने का आदेश दिया गया है। मामले में चौथा आरोपी सतीश कुमार इस मामले में भगौड़ा है। पांचवें आरोपी की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी।

दोनों के बयानों में अंतर

खंडपीठ ने फैसले में कहा मामले में एक चश्मदीद महेंद्र नाथ भास्कर मरने वाले सतीश चंद्र भास्कर का छोटा भाई है। उसका इस केस में हित है। उसके बयान पर बारीकी से गौर करने की जरूरत है।

महेंद्र व दूसरे चश्मदीद राजकुमार के बयान विरोधाभासी हैं। महेंद्र के मुताबिक, पहले उसके भाई को जमीन पर गिराकर चाकू से वार किए गए। फिर छाती पर ईंट मारी गई जिससे वह दोबारा नहीं उठा।

वहीं, राजकुमार के मुताबिक, पहले सतीश को गिराकर ईंट मारी गई फिर चाकू से वार किया गया। कोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि ईंट मारने वाली बात का मेडिकल रिपोर्ट भी पुष्टि नहीं करती है।

हालांकि, निचली अदालत ने माना कि शायद चाकू लगने से आई चोटों के कारण ईंट मारने की चोट का पता नहीं चला। निचली अदालत को डॉक्टर का काम हाथ में लेते हुए अपनी राय नहीं देनी चाहिये थी।

अभियोजन का कहना
अभियोजन के मुताबिक, खजूरी खास इलाके में किशन लाल का खराब झुनझुना देने की बात पर सतीश चंद्र से झगड़ा हुआ था। वह खिलौना दुकान में फेंक कर चला गया था। उसने शाम तक दुकान जलाने की धमकी दी थी। इसके कुछ समय बाद वह अपने चार संबंधियों के साथ वापस आया था। इन लोगों ने सतीश चंद्र भास्कर को दुकान से बाहर खींच लिया था और एक चबूतरे पर ले जाकर चाकू व ईंट से वार किया था। इस झगड़े में महेंद्र नाथ भास्कर को भी चोट आई थी।

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