हर्बल हुक्के की आड़ में चला रहे हैं नशे का कारोबार, चल रहा है खतरनाक खेल

चंडीगढ़। सिटी ब्यूटीफुल के बारों में हर्बल हुक्के के नाम पर जमकर नशे का कारोबार हो रहा है। निकोटिन का धडल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। पैसे छापने के चक्कर में बार संचालक युवा पीढ़ी को बर्बादी की तरफ धकेलने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। पिछले साल नौ बार नियमों को तोड़ने पर स्वास्थ्य और पुलिस विभाग द्वारा सील किए गए हैेंं, लेकिन इनकी हिम्मत देखिए कि दोबारा फिर नियमों को ताक पर रखकर बार में जमकर निकोटिन का इस्तेमाल होता है।हर्बल हुक्के की आड़ में चला रहे हैं नशे का कारोबार, चल रहा है खतरनाक खेल

दोनों विभागों के बीच पॉयजन एक्ट को लेकर फंसी रार का फायदा बार संचालक उठा रहे हैें। स्वास्थ्य विभाग लगातार पुलिस विभाग को पॉयजन एक्ट 1919 के तहत कार्रवाई की बात कहता है जो कि नहीं होती। इस एक्ट में जमानत भी नही मिलती है। इसके चलते बार संचालक बेखौफ नशे का कारोबार चला रहे हैें। शहर में फिलहाल करीब 12 से 15 हुक्का बार हैं। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि हर्बल हुक्का की जरूरत ही क्यों है।

सील होकर खुलने के बाद दोबारा फिर तोड़े नियम

बार सील होने के बाद जुर्माना भर वापस नियमों को तोड़ते पाए गए । सेक्टर 26 स्थित ज्यादातार बार  लगातार निकोटिन का जमकर इस्तेमाल कर  रहे हैें। सेक्टर 26 स्थित सैंड्स ऑफ टाइम तीन बार नियम तोड़ने को लेकर सील हो चुका है। दो अन्य बार भी दो बार सील हो चुके हैं। बार-बार नियमों की अवेहलना के बाद कुछ नहीं हो रहा है।

सील किए गए बार         लोकेशन

कैफीना -26 (दो बार)   एससीओ-19 ,सेक्टर 26

कस्बाह लॉंज (दो बार    एससीओ-47 , सेक्टर 26

सैंड्स ऑफ टाइम (तीन बार)   एससीओ -9 , सेक्टर 9

फार्म हाउस               आइटी पार्क, मनीमाजरा

शहर से लगते फार्म हाउस भी बने नशे का अड्डा

आईटी पार्क के फार्म हाउसेज में भी जमकर नशा चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग की तंबाकू नियंत्रण शाखा को यहां एक फार्म हाउस में हुक्का बार चलने की जानकारी मिली । फार्म हाउस  के बाहर 6 फीट उंची बाउंड्री वॉल बना रखी थी ताकि अंदर की गतिविधियों की कुछ पता ना चल सके। जब विभाग की टीम ने कार्रवाई की तो वहां धडल्ले से नशा होते पाया ।

पॉयजन एक्ट ना लगाने से नही है खौफ

स्वास्थ्य विभाग का तंबाकू नियंत्रण सैल लगातार पुलिस विभाग से पायजन एक्ट 1919 के तहत नियम तोड़ने वाले हुक्का बार के खिलाफ कार्रवाई को कहता है। निकोटिन का इस्तेमाल जहर की कैटेगरी में रखे जाने की मांग है, लेकिन पुलिस विभाग ऐसा नहीं करता। पुलिस विभाग( सिगरेट एंड अदर टोबाकू प्रोडक्ट्स एक्ट) कोटपा एक्ट 2003  के तहत कार्रवाई करता है जिसमें नियम तोड़ने वाले महज 200 रुपये का जुर्माना भर फिर से पुराने ढर्ऱे पर लौट आते हैं।

सैंपल चैक होते सीएफएसएल में

संबंधित विभाग द्वारा हुक्के के पानी और सेवन के बाद सैंपल को चैकिंग के लिए भेजा जाता है। हर्बल फ्लेवर की जांच होती है। सेक्टर 36 स्थित सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री में इनकी जांच होती है। सैंपल की रिपोर्ट में निकोटिन की पुष्टि होने पर कार्रवाई होती है।

बार वालों में खौफ नहीं

तंबाकू नियंत्रण सैल के नोडल अफसर डॉक्टर दीपक बख्शी का कहना है कि पुलिस विभाग को पॉयजन एक्ट के तहत कार्रवाई करनी चाहिए । कोटपा एक्ट में केवल 200 रुपये जुर्माना है, इसलिए बार वालों को कोई खौफ नहीं है। सेक्टर 26 स्थित कई बार लगातार नियम तोड़ रहे हैं। शहर में अगर कहीं इस तरह की गलत गतिविधि चल रही है तुरंत बताएं, हम कार्रवाई करेंगे।

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