DRDO के वैज्ञानिकों से बोले रक्षा मंत्री प्राचीन ऋषि ‘शायद महान वैज्ञानिक’ थे

डीआरडीओ के निदेशकों के 39वें सम्मेलन में पार्रिकर ने यह भी कहा कि वह इस विवाद में नहीं पड़ना चाहते कि ऋषि वैज्ञानिक थे या आध्यात्मिक। ऋषियों के बारे में बोलने के पहले पर्रिकर ने कहा कि वह एक प्रमुख मुद्दे की पहचान करना चाहेंगे, इसे गलत अर्थ में नहीं लिया जाना चाहिए। ‘ मैं हमेशा मानता हूं कि संयम से शक्ति बढ़ती है और विनम्रता से विद्या बढ़ती है। ’
रक्षा मंत्री ने दिया ऋषि दघिची का उदाहरण
रक्षा मंत्री ने इस दौरान ऋषि दघिची का उदाहरण दिया, रक्षा मंत्री ने कहा, ‘उन्होंने इंद्र को वज्र दिया, कहते हैं कि ऋषि दघिची ने अपनी हड्डियों से वज्र को बनाया लेकिन मैं सोचता हूं कि उन्होंने किसी तरह की साइंटिफिक रिसर्ज की होगी, जिससे वह एक ऐसा धातु पा सके जिसने उच्च स्तर की तकनीक उपलब्ध कराई। तो आप उनको ‘वैज्ञानिक’ की कैटेगरी में रख सकते हैं।’ रक्षा मंत्री ने कहा, ‘लेकिन उन दिनों और आज के दौर में जो फर्क में देखता हूं वह यह है कि ऋषियों को अपने घमंड, गुस्से पर कंट्रोल था, यह गुण किसी भी पढ़े लिखे व्यक्ति के लिए बहुत जरूरी है।’
रक्षा मंत्री ने कहा कि एक पढ़े-लिखे वयक्ति के लिए नम्र रहने का गुण बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर आदमी में सच्चाई और इमानदारी न हो तो उसकी पढ़ाई का कोई फायदा नहीं।