क्या आप जानते है की दक्षिण भारत के कई राज्यों में नहीं मनाई जाती है दिवाली

सनातन धर्म में दिवाली पर्व का विशेष महत्व है। यह हर साल कार्तिक महीने में अमावस्या के दिन मनाई जाती है। इस साल 4 नवंबर को दिवाली है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान श्रीगणेश जी की पूजा की जाती है। मां लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं। सनातन धार्मिक ग्रंथों की मानें तो त्रेता युग में मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्रीराम लंका नरेश रावण को हराकर कार्तिक अमावस्या के दिन माता सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस आए थे। उस समय समस्त अयोध्यावासियों ने भगवान श्रीराम के आगमन पर उनके सत्कार में दीप जलाकर दिवाली मनाई थी। उस समय से हर साल कार्तिक महीने में दिवाली मनाई जाती है। दिवाली को दीपावली भी कहा जाता है। देशभर में दिवाली हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। हालांकि, एक राज्य ऐसा भी है। जहां दिवाली नहीं मनाई जाती है। अगर आपको नहीं पता है, तो आइए जानते हैं-

दिवाली का त्योहार देशभर में उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। हालांकि, दक्षिण भारत स्थित केरल राज्य में दिवाली नहीं मनाई जाती है। इस बारे में स्थानीय जानकारों का कहना है कि किदवंती है कि दिवाली के दिन ही केरल के राजा बलि की मृत्यु हो गई थी। इसके चलते केरल में दिवाली नहीं मनाई जाती है। राजा बलि की मृत्यु के बाद से दिवाली न मनाने का विधान है।

वर्तमान समय में भी केरल के कुछ जगहों पर दिवाली नहीं मनाई जाती है। इसके चलते दिवाली के मौके पर केरल में चहल-पहल नहीं रहती है। वहीं, दक्षिण भारत के कई राज्यों में दिवाली मनाई जाती है। हालांकि, इन राज्यों में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नारकासुर के वध चलते मनाई जाती है। खासकर तमिलनाडु में नरक चतुदर्श का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। उत्तर भारत में नरक चतुदर्श के दिन यम द्वितीया मनाया जाता है।

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