दिल्ली: आयोग तय करे राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट सार्वजनिक प्राधिकरण है या नहीं

उच्च न्यायालय ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) से पूछा कि क्या श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 2(एच) के तहत एक सार्वजनिक प्राधिकरण है। उच्च न्यायालय ने केंद्रीय सूचना आयोग को आदेश जारी किया है।

उच्च न्यायालय ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) को यह तय करने का निर्देश दिया है कि क्या श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 2(एच) के तहत एक सार्वजनिक प्राधिकरण है।

न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने सीआईसी को आरटीआई आवेदक नीरज शर्मा के साथ-साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय के लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ) को सुनवाई का अवसर देने के बाद यथासंभव शीघ्रता से इस प्रश्न पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। शर्मा के आरटीआई आवेदन के जवाब में गृह मंत्रालय ने उन्हें सूचित किया कि ट्रस्ट का गठन केंद्र सरकार द्वारा राम जन्मभूमि मंदिर मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के निर्देशों के अनुपालन में किया गया था।

उन्हें यह भी बताया गया कि ट्रस्ट एक स्वायत्त संगठन या निकाय है। उत्तर संतोषजनक न मिलने पर शर्मा ने पहली अपील दायर की। हालांकि उन्हें कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली जिसके बाद उन्होंने सीआईसी के समक्ष दूसरी अपील दायर की।

पिछले साल आठ जुलाई को सीआईसी ने पीआईओ के जवाब को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह संतोषजनक नहीं था। सीआईसी ने गृह मंत्रालय के सीपीआईओ को शर्मा के आरटीआई आवेदन की फिर से जांच करने और उन्हें संशोधित बिंदुवार जवाब देने का निर्देश दिया।

इसके बाद गृह मंत्रालय द्वारा एक संचार जारी किया गया। इसमें कहा गया कि ट्रस्ट का स्वामित्व, नियंत्रण या वित्तपोषण भारत सरकार के पास नहीं है और यह स्वयं एक स्वतंत्र और स्वायत्त संगठन है। गृह मंत्रालय ने कहा कि ट्रस्ट आरटीआई अधिनियम के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है और इसलिए, आरटीआई आवेदनों को ट्रस्ट को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है।

शर्मा ने फिर से सीआईसी का रुख किया लेकिन उनकी शिकायत वापस कर दी गई। तदनुसार, शर्मा ने पिछले साल आठ जुलाई को सीआईसी द्वारा पारित आदेश और साथ ही ट्रस्ट पर गृह मंत्रालय के संचार को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया।

Back to top button