सर्दियों में कोरोना का देखने को मिलेगा विकराल रूप, दिल्ली का हो सकता है बुरा हाल

राजधानी दिल्ली के लिए बेहद चिंताजनक है। इस रिपोर्ट के अनुसार आने वाली सर्दी और त्योहारों के सीजन में दिल्ली में प्रतिदिन 15000 केस आ सकते हैं जिसके लिए राजधानी को तैयार रहना होगा।

इस रिपोर्ट में तीन मुख्य बिंदुओं का विशेष उल्लेख है जो दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ा सकते हैं। इसमें पहला है सर्दी का मौसम जो सांस की बीमारी को ज्यादा खराब करता है। दूसरा है दिल्ली के बाहर से आने वाली मरीजों की संख्या जो बड़ी तादाद में हो सकती है। तीसरा बिंदु जो चिंता का सबब बन सकता है वो है कि जो दूर दराज से मरीज आएंगे उनकी हालत ज्यादा गंभीर होगी जो दिल्लीवासियों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है।
यह रिपोर्ट एनसीडीसी ने नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल की अगुवाई वाले समूह के मार्गदर्शन में तैयार की गई है। इसमें कहा गया है कि इनमें से 20 फीसदी मरीजों को अस्पतालों में भर्ती करने के लिए दिल्ली सरकार को तैयारी कर लेनी चाहिए।
वहीं एनसीडीसी ने अपनी ‘रिवाइज्ड स्ट्रैटजी फॉर कंट्रोल ऑफ कोविड-19 वर्जन 3.0’ में गौर किया है कि राजधानी में कोरोना मरीजों की मृत्यु दर 1.9 फीसदी है जो राष्ट्रीय औसत 1.5 फीसदी से अधिक है। कोरोना के नियंत्रण के लिए इस आंकड़े में कमी लाना मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।

दिल्ली सरकार को सौंपी गई इस रिपोर्ट के अनुसार आने वाले महीनों में गंभीर श्वास रोगी तथा त्योहारी सीजन में लोगों की भीड़ तथा बाहर से आने वाले मरीजों का आंकड़ा राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी दबाव डाल सकता है। दूर दराज से आने वाले मरीजों के अधिक गंभीर होने की बात रिपोर्ट में कही गई है। इसलिए दिल्ली को रोजाना 15 हजार कोरोना पॉजिटिव मरीजों से निपटने के लिए तैयारी करनी चाहिए।

रिपोर्ट के अनुसार राजधानी में अब तक 2324 हेल्थ केयर वर्कर्स कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 23 फीसदी डॉक्टर, 34 फीसदी नर्सें, 15 फीसदी पैरा मेडिकल स्टाफ, 18 फीसदी चतुर्थ श्रेणी तथा 10 फीसदी अन्य कर्मचारी शामिल हैं। इनमें से 75 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है जिनमें से 14 डॉक्टर थे। 

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