भूल से भी आपको नहीं छु सकेगा कोरोना वायरस, अगर घर में रोजाना करेंगे इस तरह का यज्ञ

पूरी दुनिया में इन दिनों कोरोना वायरस का खौफ है। संक्रमण से फैलने वाले ये बीमारी दुनियाभर में पैर पसार रही है। चीन, इटली, ईरान, सऊदी अरब, अमेरिका जैसे देश इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं और भारत में भी अभी तक कोरोना वायरस के कारण दो मौतें हो चुकी है। दुनियाभर में लोग इस वायरस अटैक से बचने के लिए एक-दूसरे से हाथ मिलाने से भी बच रहे हैं और भारतीय परंपरा के अनुसार हाथ जोड़कर नमस्कार करना शुरू कर दिया है ताकि किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचा जा सके। पिछले दिनों प्रिंस चार्ल्स का एक वीडियो हाथ जोड़ते हुए वायरल भी हुआ है।

हाथ जोड़कर नमस्कार करने के अलावा भारतीय वैदिक परंपरा में कुछ ऐसे यज्ञ के बारे में भी उल्लेख किया गया है, जिससे संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है। ऐसा ही एक यज्ञ है ‘अग्निहोत्र’ । आधुनिक विज्ञान के कई शोध भी में यह खुलासा हुआ है कि अग्निहोत्र यज्ञ के कारण पर्यावरण की शुद्धि होती है और हानिकारण बैक्टीरिया और वायरस का खात्मा होता है।

कोरोना वायरस का खतरा जिस तेजी के साथ बढ़ रहा है, ऐसे में अग्निहोत्र यत्र के द्वारा भी आप अपने आसपास शुद्धा वाताररण निर्मित कर सकते हैं। अग्निहोत्र यज्ञ के वैज्ञानिक पहलू की जानकारी चुनिंदा लोगों को ही है।दुनियाभर में हुए शोध में पर्यावरण के साथ ही पानी की शुद्धता और खेती पर अग्निहोत्र यज्ञ के चमत्कारी असर सामने आए हैं। रिसर्च में एक बार फिर साबित हुआ है कि अग्निहोत्र, सिर्फ वैदिक कर्मकांडीय परंपरा नहीं, बल्कि यह जल, वायु व मिट्टी के शुद्धिकरण में अहम भूमिका निभाता है।

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मध्यप्रदेश में महेश्वर के पास नर्मदा किनारे स्थित फाइवफोल्ड पाथ मिशन, होम थैरेपी गौशाला में कई वर्षों से अग्निहोत्र यज्ञ और इस पर शोध किया जा रहा है। इस रिसर्च में सामने आया है कि महेश्वर में अग्निहोत्र यज्ञ के बाद जल में बैक्टीरिया की कमी हुई। साथ ही पानी की कठोरता भी कम हो गई। वहीं नर्मदा तट के अन्य शहरों में, जहां अग्निहोत्र नहीं किया गया था, वहां जल में कोई परिवर्तन नहीं आया। यह शोध वर्ष 2014-15 में जर्मन वैज्ञानिक अलरिच बर्क और धामनोद स्थित AIMS कॉलेज के प्रिसिंपल शैलेंद्र शर्मा ने किया था। 

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