एक बार फिर दिल्ली में फूटा कोरोना बम, 10 दिन में आए इतने मरीज…

त्योहारी सीजन में दिल्ली वालों के लिए चौतरफा मुसीबत पैदा हो गई है. घर से बाहर निकलना दुश्वार हो गया है. कोरोना के रिकॉर्ड केस और बढ़ते प्रदूषण के बीच बाजारों में बढ़ती भीड़ ने दिल्ली के संकट को और गहरा कर दिया है. दिल्ली में लगातार कोरोना वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है. एक बार फिर से दिल्ली में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.

पिछले 24 घंटों में दिल्ली में कोरोना वायरस के 6725 नए मामले सामने आए हैं और 48 लोगों की कोरोना वायरस के कारण मौत भी हुई है. इसके साथ ही दिल्ली में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 4 लाख के पार हो गई है. पिछले 10 दिनों में दिल्ली में कोरोना के 50,000 से ज्यादा नए मरीज सामने आए हैं. आंकड़ों के मुताबिक 25 अक्टूबर से 3 नवंबर के बीच, दिल्ली में 50,616 नए मामले सामने आए हैं, यानी तब से अब तक एक दिन का औसत 5,062 रहा है. वहीं, इस अवधि के दौरान 394 मौतें दर्ज की गई हैं.

कोरोना के आंकड़ों की बात करें तो दिल्ली में पिछले 24 घंटों में 3610 लोग इलाज के बाद डिस्चार्ज हुए हैं. वहीं इस दौरान 59540 लोगों की टेस्टिंग की गई है. दिल्ली में अब तक कोरोना वायरस के कारण 6652 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं दिल्ली में कोरोना डेथ रेट 1.65 फीसदी है. दिल्ली में कोरोना संक्रमण दर 11.29 फीसदी हो चुकी है. यहां अब कोरोना वायरस के कुल मरीजों की संख्या 4,03,096 हो चुकी है और 36375 एक्टिव कोरोना वायरस के मरीज हैं. यह दिल्ली में एक्टिव मरीजों की अब तक की सबसे बड़ी संख्या है.

इधर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पराली जलाने के कारण दिल्ली की हवा ‘बेहद खराब’ स्थिति में पहुंच गई है. दिल्ली का एक्यूआई 300 के पार चला गया है. बुधवार की सुबह भी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई. ऐसे में दिल्ली में लोगों को सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही है. इस बीच त्योहारी सीजन के कारण बाजारों में होने वाली भीड़ ने कोरोना के खतरे को और बढ़ा दिया है. चांदनी चौक हो, सरोजनी नगर या फिर कोई और मार्केट, लोगों की बड़ी संख्या रोज यहां खरीददारी के लिए पहुंच रही है, ऐसे में दो गज की दूरी का कोरोना से बचने का फार्मूला भी सिफर साबित होता दिख रहा है.

पराली की हिस्सेदारी 10 फीसदी
केंद्र सरकार की पूर्वानुमान एजेंसी के मुताबिक मंगलवार को हवा की दिशा बदलने की वजह से दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली जलाने से उत्पन्न प्रदूषकों की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत पर आ गई. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र ‘सफर’ के मुताबिक सोमवार को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पराली जलाने की 3,068 घटनाएं दर्ज की गईं. एजेंसी ने बताया कि लंबे समय बाद मंगलवार को सतह के नजदीक की हवा की दिशा दक्षिण पश्चिम की तरफ हुई जो पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को दिल्ली तक पहुंचने में सहायक नहीं होती. 

सफर ने बताया कि दिल्ली में प्रदूषण पीएम-2.5 में पराली जलाने की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय कमी आई है. सफर ने कहा कि हवा की प्रतिकूल दिशा की वजह से पराली जलाने की अधिक संख्या के बावजूद दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर कम असर का यह उदाहरण है और यह दिखाता है कि कैसे मौसम इसमें निर्णायक भूमिका निभाता है. एजेंसी के मुताबिक सोमवार को दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत थी जबकि रविवार को यह हिस्सेदारी 40 प्रतिशत थी जो इस मौसम में सबसे अधिक थी. सफर के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी शनिवार, शुक्रवार और बृहस्पतिवार को क्रमश: 32,19 और 36 प्रतिशत रही.

बता दें कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है.

कड़ों के मुताबिक पिछले साल एक नवंबर को दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी सबसे अधिक 44 प्रतिशत दर्ज की गई थी. सफर का पूर्वानुमान है कि बुधवार और गुरुवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता में आंशिक गिरावट दर्ज की जाएगी. दिल्ली की वायु गुणवत्ता गत 24 घंटे में आंशिक सुधार के बाद मंगलवार दोपहर के बाद फिर ‘बेहद खराब’ श्रेणी में चली गई. 

भारत के मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को तेज हवाओं की वजह से प्रदूषकों के बिखरने से वायु गुणवत्ता में सुधार आया था, लेकिन रात को हवा में स्थिरता और ठंड की वजह से फिर से प्रदूषण का स्तर बढ़ा. उन्होंने बताया कि दिल्ली में दोपहर तीन बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 311 दर्ज किया गया जबकि गत 24 घंटे का औसत 293 रहा जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है. 

Back to top button