2019 में होने वाले चुनावों में राफेल लड़ाकू विमान सौदे को अहम मुद्दा बनाने की तैयारी में कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी राफेल लड़ाकू विमान सौदे के मामले में केंद्र सरकार को बख्शने के मूड में नहीं है। अब कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को संसद में जहां जोर शोर से उठाने की तैयारी कर रही है, वहीं जनता के बीच में भी ले जाने की योजना है। पार्टी के राज्यसभा में उपनेता आनंद शर्मा साफ कहते हैं कि इसमें दाल में काला है।
राज्यसभा सदस्य और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी इस लड़ाकू विमान सौदे पर सफाई देने के लिए दूसरी बार मीडिया के सामने आए और विमान की कीमत पर सरकार द्वारा दिए गए जवाब पर सवालिया निशान लगा दिया। कांग्रेस के रूख से साफ है कि वह इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को न केवल घेरना जारी रखेगी। बल्कि 2019 में प्रस्तावित आम चुनाव में इसे घोटाले का रूप देते हुए मुद्दा भी बना सकती है।
प्रधानमंत्री फंसेंगे अपने तंज में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा पूछे गए इस सवाल पर उनकी(राहुल) हरकत को बचकाना करार दिया था। उन्होंने(प्रधानमंत्री) सवालिया लहजे में कहा था कि आखिर राहुल गांधी कब तक इस तरह की हरकतें करके देश को नुकसान पहुंचाते रहेंगे।
वहीं रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण राहुल गांधी के आरोप पर पूरी तरह से आक्रामक हो गई थी। कांग्रेस पार्टी के नेताओं को लग रहा है कि पहली बार सरकार की बौखलाहट सामने आ रही है। रणदीप सिंह सुरजेवाला का कहना है कि हमारे पास तथ्य मजबूत है, इसलिए सरकार जवाब नहीं दे पा रही है। सरकार तथ्य छुपा रही है। कांग्रेस पार्टी गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले से केंद्र सरकार से इस सवाल का जवाब मांग रही है। कांग्रेस पार्टी के नेताओं को लग रहा है कि प्रधानमंत्री कांग्रेस अध्यक्ष पर जो तंज कस रहे हैं, वह उनकी छवि को ही खराब करने वाला है। इसे केंद्र में रखकर पार्टी ने लोकसभा में विशेषाधिकार हनन का नोटिस देने का निर्णय लिया है।
एके एंटनी को प्रेस कांफ्रेंस में लाकर माने
कांग्रेस पार्टी ने यूपीए सरकार के समय में रक्षा मंत्री रहे एके एंटनी को राफेल लड़ाकू विमान सौदे में स्थिति स्पष्ट करने के लिए दूसरी बार संवाददाता सम्मेलन में उतारा है। एंटनी की छवि साफ सुथरी है। उन पर कदाचार का आरोप लगाना आसान नहीं है। राफेल लड़ाकू विमान के सौदे का कामर्शियल ट्रायल एके एंटनी के समय में ही हुआ था। तब गोपनीयता के दस्तावेज पर भारत और फ्रांस के अधिकारियों ने दस्तखत किया था।
एनडीए की मोदी सरकार का कहना है कि यूपीए सरकार के समय में 2008 में हुआ गोपनीयता समझौता 25 जनवरी 2015(मोदी सरकार) में हुए 36 राफेल लड़ाकू विमान की आपूर्ति पर भी लागू होता है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मुद्दा उठाने पर यही सफाई दी थी। उन्होंने पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के समय में हुए गोपनीयता समझौते का हवाला दिया था। जबकि मई 2014 में नई सरकार ने सत्ता में आने के बाद फ्रांस की लड़ाकू विमान निर्माता कंपनी डेसाल्ट के साथ 126 बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमानों की आपूर्ति प्रक्रिया को रद्द कर दिया था और नए सिरे से, नई कीमत पर 36 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति का सौदे पर मुहर लगाई थी।