विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस-भाजपा का खेल बिगाड़ेगा सपाक्स

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव में सपाक्स (सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संगठन) व उससे जुड़े संगठन कांग्रेस और भाजपा का खेल बिगाड़ने की तैयारी में है। संगठन ने चुनाव में प्रत्याशी खड़े करने की गुपचुप तैयारी शुरू कर दी है। जिलों से संभावित दावेदारों के नाम बुलाए जा रहे हैं। यदि संगठन का राजनीतिक दल के तौर पर पंजीयन हो जाता है तो ठीक वरना निर्दलीय उम्मीदवार भी खड़े किए जा सकते हैं। अभी सपाक्स के सामाजिक संगठन ने समाज में अपने हक को लेकर जागरुकता का कार्यक्रम शुरू किया है।विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस-भाजपा का खेल बिगाड़ेगा सपाक्स

संगठन के अध्यक्ष पूर्व आईएएस अफसर हीरालाल त्रिवेदी ने प्रदेश का दौरा भी शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक सपाक्स संगठन ने खुद को सिर्फ अधिकारी-कर्मचारी तक सीमित नहीं रखने की रणनीति बनाई है। सपाक्स समाज शाखा ने सामाजिक अधिकारों के लिए जनजागरण अभियान छेड़ा है। इसके तहत संगठन के प्रांताध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी ने मंगलवार को रतलाम और मंदसौर में समाज से जुड़े व्यक्तियों के साथ बैठक की।

चुनावी रणनीति बनना शुरू

उधर, सपाक्स संगठन ने चुनावी रणनीति को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया। संगठन के संस्थापक व संरक्षक में से एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर योजना का खुलासा करते हुए कहा कि हर जिले में कम से कम दो प्रत्याशी उतारे जाएंगे। इसमें सेवानिवृत्त अधिकारियों के साथ समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति भी हो सकते हैं। इसके लिए जिलों में संभावित दावेदारों की खोज का काम शुरू हो गया है। बताया जा रहा है कि सपाक्स को जिला व तहसीलों में जिस तरह का समर्थन मिल रहा है उससे भाजपा और कांग्रेस का चुनावी खेल बिगड़ सकता है। यही वजह है कि मैदानी स्तर पर एकाएक कार्यक्रमों में तेजी आ गई है।

चित्रकूट उपचुनाव में खड़ा हो चुका है प्रत्याशी

चित्रकूट विधानसभा के उपचुनाव में अपने समर्थन से सपाक्स ने महेंद्र कुमार मिश्रा को प्रत्याशी बनाया था। मिश्रा निर्दलीय खड़े हुए थे। हालांकि इन्हें बहुत ज्यादा मत नहीं मिले पर संगठन ने नतीजा सामने आने के बाद दावा किया कि उन्होंने चुनावी खेल बिगाड़ने में भूमिका निभाई है। इसी तरह अटेर विधानसभा के उपचुनाव में भी सपाक्स समाज द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का दावा किया गया था। कोलारस उपचुनाव के समय भी एक-दो रैलियां की गई थीं।

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