CM योगी इन कर्मचारियों के लिए कर सकते हैं ये एक और बड़ा ऐलान, 40 करोड़ होंगे लाभार्थी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मॉडल को अपनाते हुए केंद्र सरकार कैजुअल एवं छोटे कर्मचारियों को आर्थिक मदद दे सकती है। कोरोना कहर की वजह से शटडाउन व रोजी-रोटी पर उत्पन्न संकट को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 20 लाख से अधिक दिहाड़ी मजदूरों को 1,000 रुपये की मदद देने की घोषणा की है। अब केंद्र सरकार भी इस प्रकार की मदद देने पर विचार कर रही है। हालांकि, इस प्रकार की मदद देने के लिए सरकार को भारी-भरकम राशि का इंतजाम करना होगा। औद्योगिक जगत के अनुमान के मुताबिक कोरोना महामारी के आर्थिक असर से भारत के 40 करोड़ से अधिक श्रमिक प्रभावित हो सकते हैं। इनमें कैजुअल व छोटे स्तर के कर्मचारी शामिल हैं।
सरकार कच्चे तेल की कीमतों में कमी का उठा सकती है लाभ
सरकार की तरफ से इन्हें पांच-पांच हजार रुपये की मदद देने पर सरकार को 2 लाख करोड़ रुपये का इंतजाम करना होगा। सूत्रों के मुताबिक सरकार दो प्रकार से इन श्रमिकों को आर्थिक मदद देने पर विचार कर सकती है। पहला तरीका यह हो सकता है कि सरकार खुद 2 लाख करोड़ रुपये का इंतजाम करे। कच्चे तेल की कीमतों में कटौती से भारत को इस राशि को जुटाने में मदद मिल सकती है। कच्चे तेल की कीमतों में 10 डॉलर प्रति बैरल की कटौती पर सरकार के आयात बिल में 15 अरब डॉलर (करीब 1.05 लाख करोड़ रुपये) की बचत होगी। कच्चे तेल की कीमतों में 30 फीसद से अधिक की कटौती हो चुकी है।
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कंपनियों से लिखित आश्वासन ले सकती है सरकार
इसके अलावा दूसरा तरीका यह हो सकता है कि सरकार सभी छोटी-बड़ी कंपनियों से लिखित आश्वासन ले सकती है कि वे उत्पादन कम होने पर भी छोटे स्तर के कर्मचारियों को पूरा वेतन देंगी और उन्हें नौकरी से नहीं निकालेंगी। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र के नाम संबोधन में ऐसी अपील कंपनियों से कर चुके हैं। औद्योगिक संगठन सीआइआइ के मुताबिक प्रधानमंत्री की इस अपील को ध्यान में रखते हुए उसके सभी सदस्यों को छोटे श्रमिकों की रोजी-रोटी का ध्यान रखने के लिए कहा गया है। सीआइआइ का सुझाव है कि वरिष्ठ कर्मियों की सैलरी में मामूली कटौती कर छोटे व कैजुअल श्रमिकों के वेतन का इंतजाम किया जाए।
जीएसटी फाइलिंग में मोहलत संभव
मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक सरकार हर प्रकार के बैंक किस्त की भुगतान समय-सीमा को 60 दिनों तक बढ़ा सकती है। मतलब दो माह तक उपभोक्ताओं से लेकर कारोबारियों तक को लोन चुकाने के लिए किसी प्रकार का दबाव नहीं डाला जाएगा।