चाचा शिवपाल द्वारा अखिलेश पर ‘कौरव’ वाले बयान से समाजवादी कुनबे में बढ़ी रार

समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाने के बाद शिवपाल सिंह यादव ने मंगलवार को इसे धर्मयुद्ध करार देते हुए कहा कि जीत सत्य की होती है. इस दौरान शिवपाल ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए महाभारत और रामायण का भी जिक्र किया. जिसके बाद से समाजवादी पार्टी की रार और आगे बढ़ गई है.

लखनऊ में श्री कृष्ण वाहिनी के कार्यक्रम में पहुंचे शिवपाल यादव ने महाभारत का जिक्र करते हुए इशारों ही इशारों में अखिलेश यादव की तुलना कौरवों से कर दी. उन्होंने कहा कि पांडवों ने कौरवों से पांच गांव मांगा था. मैंने तो सिर्फ सम्मान मांगा था. इस दौरान शिवपाल का दर्द भी छलका. उन्होंने कहा कि वे समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के साथ आगे बढ़ेंगे. लंबे इंतजार के बाद यह कदम उठाया. अब कदम पीछे नही खीचेंगे. शिवपाल यादव ने कहा कि उन्होंने नेता जी (मुलायम सिंह यादव) से पूछ कर समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाया है. यह एक धर्मयुद्ध है, जिसमें जीत धर्म और सत्य की होती है. ये लड़ाई समाजिक परिवर्तन और न्याय की है. असली राजनीति का मतलब सेवा भाव है.

शिवपाल यादव ने कहा, “साथ वही हैं जिनको मैंने ज्यादा नहीं दिया. मैं आपस में नहीं लड़ना चाहता था. हमारे लोग मेरे विरोधी की मदद कर रहे थे.बहुत से लोग बेईमानी से ले गए. कुछ लोग गलत काम करना चाहते थे. जो द्वार पर आए उसे कुछ मिलना चाहिए. मैंने श्री कृष्ण की तरह दे दिया, लेकिन वे सुदामा नहीं निकले.”

शिवपाल ने कहा, “समाजिक परिवर्तन हो. आदमी दिमाग और शरीर से स्वस्थ होना चाहिए. सत्ता पाने से दंभ आता हैं. कंस को आया था. रावण को मद आया. क्या हुआ? विनाश हुआ. नेता जी के कहने पर राजनीति में आया. नहीं तो खेती करता. नौकरी करता. सालों साल साइकिल चलाता था. चुनाव में महीनों साइकिल चलाया. मैं पैदल स्कूल जाता था. नेता जी और अपने कपड़े धोता था. कभी पद नहीं मांग. 1980 में टिकट मिलता तो जीत जाता. टिकट 1996 में मिला जब नेता जी दिल्ली गए.”

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