कावेरी जल विवाद, किसानों ने खुद को गले तक रेत में दफन किया

तमिलनाडु में कावेरी जल विवाद पर हो रहे प्रदर्शनों से जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड को लेकर राज्य में डीएमके के बाद अब किसान केंद्र सरकार का विरोध कर रहे हैं. आज कावेरी नदी के तट पर किसानों ने खुद को रेत में गले तक दफन कर दिया. इस मौके पर किसान नेता भी मौजूद थे.

किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार जल्द कावेरी जल विवाद को निपटाने के लिए कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड का गठन करे. बता दें कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी, उपमुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम और अन्नाद्रमुक के अन्य नेताओं ने सीएमबी के गठन की मांग करते हुए सोमवार को चेन्नई में एक दिवसीय उपवास किया था.

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गौरतलब है कि इस मामले पर कर्नाटक और तमिलनाडु आमने सामने हैं. कर्नाटक में भी कन्नड़ संगठनों ने 12 अप्रैल को कर्नाटक बंद का आह्वान किया है. बंद की घोषणा इसलिए की गई है कि सीएमबी पर तमिल नेताओं की ओर से बनाए जा रहे दबाव के आगे केंद्र नहीं झुके.

सुप्रीम कोर्ट ने 16 फरवरी को कावेरी जल में तमिलनाडु का हिस्सा घटाकर 177.25 अरब घनफुट (टीएमसी) कर दिया था, जो 2007 में एक अधिकरण की ओर से आवंटित 192 अरब घनफुट से कम है. वहीं, कर्नाटक का हिस्सा 14.75 अरब घनफुट बढ़ा दिया गया है.

केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के 16 फरवरी के आदेश के मुताबिक छह सप्ताह के भीतर सीएमबी का गठन करने से विफल रही. इसकी समय सीमा 29 मार्च को समाप्त हो गई. इसी को लेकर राजनीतिक पार्टियां और किसान राज्य में विरोध कर रहे हैं.

 
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