रोड रेज मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर डैमेज कंट्रोल में जुटे कैप्टन अमरिंदर

चंडीगढ़। कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के रोडरेज मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सिद्धू की सजा को सही ठहराने के 48 घंटे बाद सरकार ने अपना रुख बदल लिया। सरकार के फैसले को लेकर सिद्धू की कूटनीतिक टिप्पणी व कांग्रेसियों की प्रतिक्रिया लेने के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भले ही अपना रुख सिद्धू के पक्ष में कर दिया है, लेकिन इस बात से भी हाथ खड़े कर दिए हैं कि कोर्ट में सरकार अपना बयान नहीं बदल सकती। सिद्धू विवाद के बाद पंजाब कांग्रेस में विभिन्न मुद्दों को लेकर चल रहा शीत युद्ध और तेज होना तय है।रोड रेज मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर डैमेज कंट्रोल में जुटे कैप्टन अमरिंदर

अंदरखाते कांग्रेसियों का रुख सिद्धू की तरफ, कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया लेने के बाद कैप्टन ने दी सफाई

कांग्रेस में आने से लेकर सरकार व मंत्री बनने तक के हर सफर में सिद्धू की राह में कैप्टन खड़े होते रहे हैं। विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी के साथ सिद्धू की बातचीत टूटने के बाद कांग्रेस में आने को लेकर सबसे ज्यादा विरोध कैप्टन ने किया था। विरोध के बाद भी राहुल गांधी ने कैप्टन को मनाकर सिद्धू को कांग्रेस में शामिल किया था।

उसके बाद डिप्टी सीएम की कुर्सी की लड़ाई शुरू हुई, जो निकाय एवं पर्यटन व संस्कृति मामलों के मंत्री पर जाकर सिमटी। इसके बाद भी सिद्धू ने विभाग के साथ हाउसिंग व अर्बन डेवलपमेंट को साथ जोड़ने की मांग रख कैप्टन की मुश्किलें बढ़ाईं। इस बार अपनी शर्तों पर सरकार चला रहे कैप्टन ने सिद्धू की एक नहीं सुनी। नतीजतन रेत खनन माफिया, केबल माफिया, ड्रग्स माफिया, ट्रांसपोर्ट माफिया के खिलाफ कार्रवाई को लेकर मंत्री बनने के बाद सिद्धू ने मोर्चा खोल रखा है।

अकेले पड़ते रहे सिद्धू

ड्रग्स, केबल व ट्रांसपोर्ट माफिया पर कार्रवाई को लेकर तीन दर्जन से ज्यादा कांग्रेसी विधायकों ने भी सिद्धू के सुर में सुर मिलाए थे। अलग बात है कि कैप्टन ने अकालियों के खिलाफ उक्त मामलों में ‘बदला नहीं बदलाव’ का नारा देकर सिद्धू की मोर्चाबंदी की हवा निकाल दी है। इसके बाद भी सिद्धू  मुद्दों की लड़ाई में सरकार का नफा नुकसान किनारे कर हर बार सरकार को कठघरे में खड़ा करने के एक सूत्रीय फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं।

यही वजह रही कि भ्रष्टाचार के मामले में तीन आइएएस के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश हो या केबल कारोबार को लेकर फास्ट-वे के खिलाफ कार्रवाई, अपनी ही सरकार में कई बार सिद्धू अकेले पड़ते रहे हैं। चूंकि सिद्धू का रोडरेज का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और सरकार के पास भी सैद्धांतिक व नैतिक रूप से अपना बयान न बदलने का ही रास्ता है। फिलहाल सरकार व कैप्टन के बदले रुख ने फिलहाल सिद्धू के जख्मों पर मरहम लगाना शुरू कर दिया है।

जाखड़ व सिद्धू के सुर एक

चार दिन पहले पंजाब कांग्रेस के प्रधान व सांसद सुनील जाखड़ की मुख्यमंत्री कार्यालय में जिस प्रकार बेइज्जती हुई थी, उससे एक बार लगा था कि अब जाखड़ भी चुप बैठने वाले वाले नहीं हैं। सियासी रूप से सयाने माने जाने वाले जाखड़ को भी इस बात का अंदाजा था कि फिलहाल आपसी लड़ाई का लाभ नहीं है।

कांग्रेस के जानकार बताते हैं कि चूंकि जाखड़ व सिद्धू बीते कुछ दिनों से विभिन्न मुद्दों पर खासतौर पर अवैध रेत खनन के मामले को लेकर सुर में सुर मिला रहे थे। अवैध रेत खनन के मामले को लेकर पहली बार विरोधियों को उस समय सरकार पर वार करने का सबसे अच्छा मौका मिला था, जब जाखड़ ने भी सिद्धू के साथ अवैध रेत खनन के मुद्दा उठा दिया था।

इसके बाद मैदान में खुद कैप्टन को उतर कर हवाई यात्रा कर अवैध रेत खनन के आरोपों पर मुहर लगाना पड़ा था। हालांकि, कैप्टन ने उस समय भी एक ही झटके में अवैध रेत खनन को लेकर कारवाई के साथ एक मंत्री सहित कई कांग्रेसियों को डंडा दिखा दिया था। सिद्धू विवाद के बाद एक बार फिर कैप्टन ने जाखड़ को साथ लेकर बाकी कांग्रेसियों को एक साथ न चलने का हश्र दिखा एकजुटता का संदेश दिया है।

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