Birthday Special: भारत-पाक मैच खत्म होने से पहले इस भारतीय कप्तान ने मान ली थी हार

भारत के पूर्व टेस्ट क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी का जन्म 25 सितम्बर 1946 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था बेदी बाएं हाथ के परंपरागत गेंदबाज थे. उन्होंने भारत के लिए 1966 से 1979 तक टेस्ट क्रिकेट खेला और वे भारत की प्रसिद्ध स्पिन चौकड़ी ( बेदी, प्रसन्ना, चंद्रशेखर और वेंकटराघवन) का हिस्सा थे. वे गेंद को फ्लाइट कराने और स्पिन की लगभग सभी खूबियों में माहिर थे. उनकी बॉलिंग एक्शन इतनी आराम भरी और संतुलित थी कि वे पूरे दिन रिदम और कंट्रोल के साथ गेंदबाजी कर सकते थे. बेदी को अपनी हाजिर जवाबी और बेबाक रवैये के लिए जाना जाता है. उन्होंने क्रिकेट पर पूरी बेबाकी से अपने विचार रखे जिसकी वजह से वे विवादों में भी काफी रहे.Birthday Special: भारत-पाक मैच खत्म होने से पहले इस भारतीय कप्तान ने मान ली थी हारदर्शकों ने दिया था टर्बनेटर नाम
आजकल टर्बनेटर के नाम से हरभजन सिंह लोकप्रिय हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि बेदी देश के पहले ‘टर्बनेटर’ थे. बेदी को यह नाम सत्तर के दशक में दर्शकों ने दिया था बेदी को हमेशा एक रंगीन पटका पहनते थे इसलिए उन्हें टर्बनेटर कहा जाता था. बिशन सिंह बेदी ने करियर में 67 टेस्ट खेले इसमें उन्होंने 27.81 की औसत से 266 विकेट हासिल किए जब उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया तब वे सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले भारतीय थे. बेदी ने 22 टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी भी की. 

यादगार कप्तानी, टीम के लिए हमेशा खड़े रहे और लड़े भी
बेदी को 1976 में भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बनाया गया. वह मंसूर अली खान पटौदी के बाद कप्तान बने थे. उनकी कप्तानी में पहली बार टेस्ट मैच वेस्टइंडीज के विरूद्ध 1976 में पोर्ट-ऑफ-स्पेन में जीता गया था. इसके बाद, भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ भी टेस्ट सीरिज 2-0 से जीती.  भारत न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत में ही, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ और पाकिस्तान के खिलाफ सीरिज हार गया. इन हार के बाद, कप्तानी बिशनसिंह बेदी से छीनकर, सुनील गावस्कर को दे दी गई. 

शेन वार्न के आदर्श
दुनिया के सर्वकालिक महानतम लेग स्पिनर शेन वॉर्न बेदी को अपना आदर्श मानते थे वॉर्न का कहना है कि उन्होंने लेग स्पिन का ककहरा बेदी से ही सीखा. बेदी ने हमेशा मुथैया मुरलीधरन को निशाने पर लिया और उनके गेंदबाजी एक्शन को गलत बताते हुए चकर कहते रहे. मुरलीधरन के लिए वे कहते हैं कि उनकी गेंदबाजी बिल्कुल भाला फेंकने जैसी है. 

केवल दस वनडे ही खेले भारत के लिए
बेदी ने भारत के लिए 10 एकदिवसीय मैच खेले. बेदी भारत की पहली एकदिवसीय जीत के गवाह रहे हैं. 1975 में ईस्ट अफ्रीका के खिलाफ खेले गए इस मैच में बेदी ने 12 ओवर में 6 रन देकर एक विकेट हासिल किया था, जिसमें आठ ओवर मेडन रहे थे. भारत ने इस मैच को 10 विकेट से जीता था. वे काउंटी क्रिकेट में बेहद सफल गेंदबाज रहे. 2008 में विजडन ने बेदी का नाम उन पांच सर्वश्रेष्ठ खिलाडि़यों में शुमार किया, जिन्हें विजडन क्रिकेटर ऑफ द इयर के लिए नहीं चुना जा सका था. बेदी ने नार्मम्पटनशायर के लिए 102 मैचों में 394 विकेट लिए थे यह काउंटी में आज भी किसी भारतीय का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. 

मैच खत्म होने से पहले ही हार मान ली थी
1978 में बेदी साहिवाल में पाकिस्तान के खिलाफ एक दिवसीय मैच में कप्तानी कर रहे थे. भारत को अंत में 26 गेंदों पर 23 रन की आवश्यक्ता थी पाकिस्तानी तेज गेंदबाज सरफराज नवाज ने लगातार चार गेंदे बाउंसर फेंकी. बेदी ने इसके खिलाफ अपील की और गेंद को वाइड मानने को कहा, लेकिन अंपायर उनकी बात से सहमत नहीं हुए तो बेदी ने बल्लेबाजों को वापस बुला लिया और भारत यह मैच हार गया. जबकि भारत के पास आठ विकेट बचे थे और उसे जीत के लिए 14 गेंदों पर सिर्फ 23 रन चाहिये थे. इसे लेकर उनकी आलोचना हुई थी. 

भारत के बल्लेबाज हुए चोटिल तो कर दी पारी की घोषणा
1976 में बेदी भारतीय टीम के कप्तान थे उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ एक मैच में 306/6 के स्कोर पर वेस्टइंडीज की खतरनाक बॉलिंग के कारण घोषित कर दी थी. इसके पीछे कारण यह था कि इस पारी में चोट लगने के कारण दो बल्लेबाज चोटिल होकर रिटायर्ड हर्ट हो गए थे, जबकि दूसरी पारी में 6 भारतीय बल्लेबाज चोटिल हो गए थे. भारत यह मैच 10 विकेटों से हार गया था.

शिकायत की तो विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर नहीं हुए घोषित
1976 में इंग्लैंड के खिलाफ मैच के दौरान बेदी ने जॉन लीवर के खिलाफ यह अपील की थी कि वे गेंद को चमकाने के लिए वेसलीन का इस्तेमाल कर रहे हैं. लीवर यह कहकर बच गए कि उन्होंने अपने बालों में वेसलीन इसलिए लगाई थी ताकि पसीना उनके चेहरे पर न आ सके. बाद में लीवर के वेसलीन विवाद में बरी कर दिया गया था. कहा जाता है कि इस विवाद के कारण बेदी को विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर नहीं घोषित किया गया. 

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