बिहार चुनाव: JDU-LJP होंगे आमने-सामने, पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह के सामने भी होगी चुनौती

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में एलजेपी ने जेडीयू के खिलाफ कैंडिडेट के उतारने और बीजेपी को समर्थन करने का ऐलान कर असमंजस में डाल दिया है। इतना ही नहीं एलजेपी ने बिहार में नरेंद्र मोदी के नाम और काम पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। बिहार में 143 सीटों पर एलजेपी और जेडीयू के प्रत्याशी आमने सामने होंगे तो ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह अमित शाह किसके लिए वोट मांगने का काम करेंगे।

बिहार में एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर एलजेपी के साथ सहमति नहीं बन पाई है। एनडीए में मनचाही संख्या में सीट न मिलने के चलते चिराग पासवान ने 143 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है, लेकिन बीजेपी को समर्थन रहेगा। ऐसे में जेडीयू के खिलाफ एलजेपी के ताल ठोकने से भले ही बीजेपी को सीधे तौर पर नुकसान होता न दिख रहा हो, पर एनडीए में असमंजस की स्थिति जरूर पैदा हो गई है। इतना ही नहीं एलजेपी ने बिहार में पीएम के नाम और काम पर भी वोट मांगने का फैसला किया है।

एलजेपी ने बिहार के चुनाव जंग को फतह करने के लिए नारा दिया है कि ‘मोदी से कोई बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं,’ चिराग पासवान ने जिस तरह से नरेंद्र मोदी के नाम को बिहार चुनाव में कैश कराने की रणनीति बनाई है, उससे जेडीयू की बेचैनी बढ़ गई है। बिहार में बीजेपी और जेडीयू के बीच आधी-आधी सीटों का बंटवारा हुआ है. ऐसे में जेडीयू के खिलाफ एलजेपी अगर पीएम मोदी के नाम का इस्तेमाल करती है तो स्थिति काफी पशोपेश वाली पैदा हो जाएगी।

पीएम मोदी के काम और नाम पर बीजेपी

बिहार में नीतीश कुमार भले ही एनडीए के मुख्यमंत्री का चेहरा हों और उन्हीं की अगुवाई में चुनाव लड़ा जा रहा हो, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपनी लोकप्रियता अलग है। बीजेपी नीतीश के साथ जरूर चुनाव लड़ रही है पर नरेंद्र मोदी के नाम और काम को आगे रख रही है। केंद्र सरकार में सहयोगी होने के नाते एलजेपी ने भी नरेंद्र मोदी के नाम और काम के दम पर चुनाव लड़ने का दांव चला है।

ऐसी स्थिति में नरेंद्र मोदी बिहार के चुनाव प्रचार में उतरते हैं तो कितनी रैलियां करेंगे और किन-किन सीटों पर चुनाव प्रचार करेंगे यह अभी तय नहीं है। हालांकि, यह सवाल जरूर है कि नरेंद्र मोदी क्या बीजेपी की सीटों पर ही चुनाव प्रचार करेंगे या फिर उन सीटों पर भी चुनाव प्रचार करेंगे, जहां पर एलजेपी बनाम जेडीयू आमने-सामने होंगे।

दरअसल, एलजेपी के महासचिव अब्दुल खालिक ने रविवार को कहा था कि राज्य स्तर पर और विधानसभा चुनाव में गठबंधन में जेडीयू के साथ वैचारिक मतभेदों के कारण बिहार में एलजेपी ने अलग चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। सूबे में कई सीटों पर जेडीयू के साथ वैचारिक लड़ाई हो सकती है ताकि उन सीटों पर जनता फैसला कर सके कि कौन-सा प्रत्याशी बिहार के हित में बेहतर है।

साथ ही उन्होंने कहा है कि बीजेपी के साथ एलजेपी के रिश्ते सही हैं। बिहार में हम उनके साथ रहकर चुनाव लड़ेंगे और मिलकर सरकार बनाएंगे। इस बयान के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। ऐसे में देखना है कि बीजेपी पटना में आज होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन सारी स्थिति पर नजरिया स्पष्ट कर सकती है।

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