बिहार विधानसभा उपचुनाव को लेकर आरजेडी एवं कांग्रेस में हो चुका ब्रेक-अप, पढ़े पूरी खबर

तारापुर और कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को लेकर राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) एवं कांग्रेस (Congress) के संबंधों में आई दरार भविष्य में भी जारी रह सकती है। कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि आरजेडी के साथ कांग्रेस के संबंध फिलहाल समाप्त हो चुके हैं। भविष्य में रिश्ता कायम रहेगा या फिर दरार जारी रहेगी, इसका फैसला अब आलाकमान को करना है। स्‍पष्‍ट है कि अब कांग्रेस के महागठबंधन (Mahagathbandhan) में रहने या अलग होने का फैसला पार्टी की राष्‍ट्रीय कार्यकारी अध्‍यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को करना है। 

आरजेडी-कांग्रेस के रिश्ते का समाप्त द-एंड

बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष डा. मदन मोहन झा उपचुनाव के मद्देनजर फिलहाल पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने के लिए कुशेश्वरस्थान में हैं। वहां उन्होंने कहा कि आरजेडी से कांग्रेस का रिश्ता फिलहाल समाप्त हो चुका है। उनके इस बयान के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस भविष्य में भी आरजेडी से दूरी बनाकर रखेगी और अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरेगी।

अब आलाकमान को करना आगे का निर्णय

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डा. झा कहते हैं कि फिलहाल आरजेडी के साथ रिश्ता खत्म हो चुका है। दोनों ही दल दोनों सीटों पर अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। आगे आरजेडी के साथ रिश्ते का भविष्य क्या होगा, इसका फैसला आलाकमान को करना है। उसका जो निर्णय होगा उसी आधार पर भविष्य की राजनीति की दशा-दिशा तय होगी।

उपचुनाव के नतीजों के आधार पर फैसला

कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी भी कहते हैं कि दो सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने से पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में उत्साह है। वे मानते हैं कि पार्टी आलाकमान उपचुनाव के नतीजों के आधार पर भविष्य का फैसला कर सकता है।

आरजेडी के खिलाफ कांग्रेस का एक धड़ा

कांग्रेस के अंदर भी एक गुट ऐसा है जो आरजेडी से दोस्ती को लेकर हमेशा सवाल उठाता रहा है। इस गुट का मानना है कि आरजेडी राजनीतिक फायदे के लिए कांग्रेस को नुकसान पहुंचाता रहा है। 2019 का लोकसभा चुनाव हो, 2020 का विधानसभा चुनाव, या इसके पूर्व के चुनाव; आरजेडी अपने सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे में सौतेला व्यवहार करता रहा है। इस गुट का मानना है कि कांग्रेस को अपने बेहतर भविष्य के लिए आरजेडी से दूरी बनाकर चलना चाहिए। जानकार भी मानते हैं कि वक्त आ गया है जब कांग्रेस को बिहार में अपनी जमीन मजबूत करने के लिए एकला चलो के पथ पर आगे बढ़ने पर विचार करना होगा।

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