इस वजह से 2019 में BJP के लिए हो सकती हैं वोटों की बारिश!

मौसम विभाग ने अनुमान जारी किया है कि साल 2018 मानसून के लिहाज से बेहतर साबित होगा और साल के दौरान प्रमुख दक्षिण-पश्चिमी मानसून लंबी अवधि में औसतन 97 फीसदी रहने के आसार हैं. मौसम विभाग का यह आकलन जहां किसानों के लिए बड़ी राहत की खबर लेकर आया है क्योंकि इससे देश की प्रमुख खरीफ फसल मजबूत होगी, वहीं यह आकलन केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार के लिए भी बड़ी राहत लेकर आया है. अच्छा मानसून केन्द्र सरकार को अगले साल 2019 में होने वाले आम चुनावों से पहले अपने आर्थिक आंकड़ों को दुरुस्त करने का मौका देगा.

क्या है अच्छा मानसून?

सामान्य, औसत या फिर अच्छे मानसून का मतलब है कि 50 साल की लंबी अवधि के औसत का लगभग 96 फीसदी से 104 फीसदी बारिश का होना. 50 वर्षों में औसत बारिश चार महीनों के मानसून के दौरान 89 सेंटीमीटर अथवा 35 इंच बारिश है. अच्छे मानसून की यह परिभाषा मौसम विभाग द्वारा दी गई है. वहीं 90 फीसदी से कम बारिश देश में सूखे की स्थिति रहती है. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल के पहले दो साल 2014 और 2015 में सूखे की स्थिति रही और इसके चलते देश के आर्थिक आंकड़ों में जोरदार गिरावट देखने को मिली जिसके लिए केन्द्र सरकार की जमकर आलोचना की गई.

ट्रेन की चपेट में आने से चार हाथियों की हुई मौत

मौसम विभाग के मुताबिक ही 110 फीसदी बारिश भी अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं हालांकि इससे कमजोर मानसून जैसा नुकसान देखने को नहीं मिलता. अधिक बारिश की स्थिति में फसलों के खराब होने का खतरा बढ़ जाता है और देश के कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है.

मानसून की अहमियत

देश में मानसून की शुरुआत 1 जून से दक्षिणी छोर केरल के तट से होती है और जुलाई के मध्य तक यह मानसून पूरे देश पर छा जाता है. इस मानसून से देश को कुल वार्षिक बारिश का लगभग 70 फीसदी मिलता है. इस बारिश से देश में प्रमुख खरीफ फसल चावल, गेहूं, गन्ना, तिलहन और सोयाबीन की पैदावार निर्धारित होती है. वहीं इन फसलों पर आधारित देश का कृषि क्षेत्र कुल जीडीपी का 15 फीसदी है और लगभग देश की आधी जनसंख्या को रोजगार इस क्षेत्र में मिलता है.

लिहाजा, अच्छा मानसून देश में पैदावार बढ़ाते हुए इसपर आधारित देश की 50 फीसदी जनसंख्या की वार्षिक आमदनी में इजाफा करता है. वहीं इस जनसंख्या की बढ़ी हुई आमदनी के सहारे देश में उपभोक्ता उत्पादों की मांग में बड़ा इजाफा होता है. यह चक्र आगे चलकर देश में कृषि से जुड़ी कंपनियों के शेयर भाव में इजाफा करता है और साथ ही साथ ग्रामीण भारत में ऑटो मोबाइल (मोटर साइकिल, ट्रैक्टर, थ्रेसर इत्यादि) की मांग में बड़ा इजाफा करता है.

सुधरेंगे आर्थिक आंकड़े

देश में जून से जुलाई तक चलने वाले अच्छे मानसून से अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों पर असर पड़ता है. खाद्य उत्पादन में भारत स्वयं पर निर्भर है लिहाजा अच्छा मानसून जहां खरीफ फसल की पैदावार बढ़ाता है वहीं खराब मानसून और सूखे की स्थिति में सरकार खाद्य सामग्री आयात करने के लिए मजबूर हो जाती है. लिहाजा, अच्छा मानसून सरकार का आयात खर्च कम करता है. इस खर्च को केन्द्र सरकार देश में इंफ्रा डेवलपमेंट या मूलभूत सुविधाओं को मुहैया कराने के लिए स्वतंत्र रहती है.

इन सेक्टर्स को होगा बड़ा फायदा

अच्छे मानसून से देश के ग्रामीण इलाकों में किसानों की आमदनी में इजाफा हो जाता है. बढ़ी हुई आमदनी से किसान ट्रैक्टर खरीदने, स्कूटर-मोटरसाइकिल खरीदने, बच्चों की शादी के लिए सोना-चांदी खरीदने, बच्चों की पढ़ाई और उच्च शिक्षा पर खर्च करने का काम करते हैं. जिसके चलते शेयर बाजार पर कृषि क्षेत्र की कंपनियों के शेयर में इजाफे के साथ-साथ ऑटो सेक्टर के शेयर, फार्म एक्विपमेंट कंपनियों के शेयर समेत उपभोक्ता उत्पाद कंपनियों के शेयर में अच्छी उछाल देखने को मिलती है.

मजबूत होगी बैंकिंग

अच्छे मानसून से देश में बैंकिंग व्यवस्था को मजबूती मिलती है. देश में ज्यादातर किसान खरीफ फसल के लिए कर्ज की व्यवस्था सरकारी, कोऑपरेटिव अथवा ग्रामीण बैंकों से करते हैं. मानसून बेहतर होने की स्थिति में इन बैंकों को कर्ज पर दिया पैसा वापस मिलने की गारंटी हो जाती है और उन्हें अपने एनपीए को काबू करने में मदद मिलती है. वहीं किसानों की बढ़ी आमदनी से भी बैंकों को अपनी ग्रामीण शाखाओं के खाते में अच्छी सेविंग्स मिलती है जिससे गैर-कृषि क्षेत्र को नया कर्ज देने का काम आसान हो जाता है.   

महंगाई पर लगेगी लगाम

गौरतलब है कि देश में आम चुनाव अप्रैल-मई 2019 के दौरान कराए जाने की संभावना है. इस समय तक अच्छा मानसून अपना काम कर चुका होगा और किसान अच्छी खरीफ फसल से बढ़ी आमदनी के बाद अच्छी रबी फसल की उम्मीद लगाए बैठा होगा. आम चुनावों से पहले यह दोहरा बोनस मोदी सरकार की एक बार फिर सत्ता में वापसी करने में मदद कर सकता है. अच्छे मानसून से जहां देश के कई आर्थिक आंकड़ों में सुधार दर्ज होगा, वहीं इस दौरान केन्द्र सरकार को महंगाई के क्षेत्र में भी बड़ी राहत देखने को मिलेगी. लिहाजा इन आर्थिक आंकड़ों के सहारे किसी सत्तारूढ़ सरकार को जनादेश अपने पक्ष में करने में ज्यादा बड़ी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ेगा.

Back to top button