यूरोप में रहने वाले बांग्लादेशी प्रवासियों ने पाकिस्तान के खिलाफ जमकर किए विरोध प्रदर्शन और की नारेबाजी

यूरोप में रहने वाले बांग्लादेशी प्रवासियों ने पाकिस्तान के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी की। इसके साथ ही ‘1971 बांग्लादेश नरसंहार’ के लिए इस्लामाबाद से माफी की मांग भी की। यूरोप में रहने वाले बांग्लादेशी प्रवासी के सदस्यों ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र के 48 वें सत्र के मौके पर पाकिस्तान के विरोध में ये प्रदर्शन किए। ये जानकारी जिनेवा में मानवाधिकार परिषद ने दी।

प्रदर्शनकारियों ने इस बात पर जोर डाला कि 1971 में पाकिस्तानी सेना ने बड़े पैमाने पर अत्याचार किए और आत्मनिर्णय की मांग करने वाले लगभग 30 लाख लोगों को व्यवस्थित रूप से मार डाला था।

प्रदर्शनकारियों ने संयुक्त राष्ट्र से विश्व स्तर पर अत्याचारों को नरसंहार के रूप में मान्यता देने और अपराधियों के खिलाफ परीक्षण शुरू करने का आग्रह किया।

स्विट्जरलैंड में रहने वाले एक बांग्लादेशी मानवाधिकार कार्यकर्ता खलीलुर रहमान ने कहा, ‘पाकिस्तान ने बांग्लादेश से माफी नहीं मांगी और अभी भी पाकिस्तान के बलूचिस्तान में नरसंहार चल रहा है। सिंध और गुलाम कश्मीर (PoK) में पाकिस्तान द्वारा नरसंहार चलाया जा रहा है। हम मांग कर रहे हैं कि पाकिस्तान को बांग्लादेश से माफी मांगनी चाहिए और संयुक्त राष्ट्र को बांग्लादेश 1971 के नरसंहार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देनी चाहिए।’

बांग्लादेशी मानवाधिकार कार्यकर्ता और बेल्जियम स्थित ग्लोबल रेजिडेंट सॉलिडेरिटी फॉर पीस के अध्यक्ष मुर्शाद ने कहा, ‘हम 1971 के नरसंहार दिवस की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने के लिए यहां एकत्र हुए हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम दुनिया से नरसंहार दिवस को मान्यता देने की मांग करते हैं जो 25 मार्च 1971 को पाकिस्तानी सेना द्वारा किया गया था।

विरोध में शामिल होने वाले डच संसद के एक पूर्व सदस्य हैरी वैन बोमेल ने कहा कि जाहिर है कि पाकिस्तान ने बहुत गंदी और बहुत ही घटिया भूमिका निभाई है। इसलिए मुझे लगता है कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ जैसे अंतरराष्ट्रीय निकायों द्वारा मान्यता प्राप्त होनी चाहिए।

 

बता दें कि बांग्लादेशी प्रदर्शनकारियों में यूरोप के मानवाधिकार कार्यकर्ता और राजनेता शामिल थे। इन सभी लोगों ने हाथों में तख्तियां और बैनर लेकर पाक के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

गौरतलब है कि पाकिस्तान ने 1948-1971 तक अपने पूर्वी विंग (अब बांग्लादेश) पर आत्मनिर्णय के लिए बंगाली आह्वान को दबाने के लिए एक सैन्य कार्रवाई की थी। बांग्लादेश ने अंततः पश्चिमी पाकिस्तान के खिलाफ नौ महीने के युद्ध के बाद दिसंबर 1971 में भारत की मदद से स्वतंत्रता हासिल की थी।

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