इस देश में चेहरा ढकने पर लगी पाबंदी, मुस्लिम संगठनों ने जताई नाराजगी

स्विट्जरलैंड के नागरिकों ने सार्वजनिक जगहों पर चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन किया है. स्विट्जरलैंड में रविवार को जनमत संग्रह कराया गया जिसमें 51.2 फीसदी मतदाताओं ने चेहरा ढकने पर बैन लगाने के प्रस्ताव का समर्थन किया. हालांकि, ये प्रस्ताव बहुत ही मामूली अंतर से पास हुआ. जनमत संग्रह के आधिकारिक नतीजों के मुताबिक, 1,426,992 लोगों ने बैन के पक्ष में जबकि 1,359,621 लोगों ने इसके खिलाफ वोट किया. मतदान का प्रतिशत 50.8 फीसदी रहा.

इस बैन के लागू होने के बाद बुर्का या हिजाब पहनने पर भी पाबंदी होगी. प्रस्ताव में इस्लाम और बुर्के का सीधे तौर पर तो जिक्र नहीं है लेकिन तमाम राजनेताओं और मुस्लिम संगठनों ने इसे बुर्का बैन और इस्लामोफोबिया से ग्रसित कदम कहा है. साल 2009 में स्विट्जरलैंड में नई मीनारों के निर्माण पर रोक लगाने को लेकर जनमतसंग्रह कराया गया था.

बैन लागू होने के बाद लोग रेस्टोरेंट, स्पोर्ट्स स्टेडियम्स, पब्लिक ट्रांसपोर्ट या सड़कों पर चेहरा नहीं ढक सकेंगे. हालांकि, धार्मिक स्थलों, कार्निवाल सेलिब्रेशन और स्वास्थ्य कारणों को इससे छूट दी गई है. कई यूरोपीय देशों में इस तरह के बैन पहले ही लगाए जा चुके हैं. फ्रांस ने साल 2011 में चेहरे को पूरी तरह से ढकने वाले कपड़े पहनने पर बैन लगा दिया था. डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड्स और बुल्गेरिया में सार्वजनिक जगहों पर बुर्का पहनने पर आंशिक या पूर्ण रूप से पाबंदियां लगाई गई हैं.

मुस्लिम संगठनों ने इसकी निंदा करते हुए कहा है कि वे इसे चुनौती देंगे. स्विट्जरलैंड के सेंट्रल काउंसिल ऑफ मुस्लिम्स ने बयान जारी कर कहा, ये फैसला पुराने जख्मों को खोलने वाला है और कानूनी रूप से असमानता के सिद्धांत का विस्तार करता है. इस कदम से मुस्लिम अल्पंसंख्यकों को अलग-थलग करने का साफ संदेश दिया गया है. संगठन की तरफ से कहा गया है कि चेहरा ढकने पर प्रतिबंध को कानूनी रूप से चुनौती दी जाएगी और जिन महिलाओं पर जुर्माना लगाया जाएगा, उनकी मदद के लिए फंड इकठ्ठा किया जाएगा.

स्विट्जरलैंड के फेडरेशन ऑफ इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन ने कहा, संविधान में ड्रेस कोड से जुड़े नियम लाना महिलाओं की मुक्ति का कदम नहीं है बल्कि अतीत में एक कदम पीछे लौटना है. संगठन ने कहा, स्विट्जरलैंड की सहिष्णुता, शांतिप्रियता और तटस्थता के मूल्यों को इस बहस से नुकसान पहुंचा है.वहीं, स्विस पीपल्स पार्टी के सांसद और रेफरेंडम कमिटी के एक सदस्य वाल्टर वॉबमन वॉबमैन ने कहा, ये वोटिंग इस्लाम के खिलाफ नहीं है लेकिन बुर्का पहनना कट्टर इस्लाम की राजनीति का हिस्सा बन गया है. यूरोप में इस्लाम का राजनीतिकरण तेजी से बढ़ा है जिसकी स्विट्जरलैंड में कोई जगह नहीं है. वॉबमन ने कहा, स्विट्जरलैंड में हमारे यहां परंपरा रही है कि आप अपना चेहरा दिखाएं. ये हमारी मूलभूत स्वतंत्रता का प्रतीक है.

यूनिवर्सिटी ऑफ लूसर्न के अनुमान के मुताबिक, स्विट्जरलैंड में बुर्का बहुत ही कम लोग पहनते हैं जबकि सिर्फ 30 फीसदी महिलाएं नकाब लगाती हैं. स्विट्जरलैंड में 5.2 फीसदी आबादी मुस्लिम है. स्विट्जरलैंड में मुस्लिम आबादी 86 लाख है जिनमें से ज्यादातर की जड़ें तुर्की, बोस्निया और कोसोवो में हैं. स्विट्जरलैंड के मुसलमानों का कहना है कि दक्षिणपंथी पार्टियां मतदाताओं का समर्थन जुटाने के लिए मुसलमानों को दुश्मन की तरह पेश कर रही हैं. कई मुस्लिमों ने आगाह किया है कि इस तरह के बैन से देश में लोगों के बीच मतभेद गहरे हो सकते हैं.

एक स्विस महिला रिफा लेंजिन ने कहा, “वह इस तरह के बैन के खिलाफ है क्योंकि ये ऐसी समस्या का निदान करता है जो असलियत में है ही नहीं. यहां के मुसलमान अलग-थलग नहीं हैं. संविधान में बदलाव करके ये बताना कि लोग क्या पहन सकते हैं और क्या नहीं, बहुत ही बकवास विचार है. आखिरकार ये स्विट्जरलैंड है, सऊदी अरब नहीं.”

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