असलहा तस्कर कुर्बान अली को एटीएस ने कानपुर के बाबूपुरवा से किया गिरफ्तार
निष्प्रयोज्य हथियारों के लाइसेंसी नंबरों का प्रयोग करके प्रतिबंधित बोर के हथियार बनाकर बेचने वाले गिरोह के सदस्य को एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ता) की कानपुर व लखनऊ इकाई ने बाबूपुरवा से गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार किए गए आरोपित का नाम कुर्बान अली है, जो मूलरूप से बिहार के भोजपुर का रहने वाला है और वर्तमान में परिवार के साथ बाबूपुरवा में छिपकर रह रहा था। उसकी गिरफ्तारी पर 25 हजार रुपये का इनाम था। एटीएस ने ही नौ साल पहले इस गिरोह का पर्दाफाश किया था।
18 अप्रैल 2013 को एटीएस लखनऊ की टीम ने लखनऊ के चौक निवासी खालिद, कानपुर निवासी मोहम्मद जुनैद, घाटमपुर निवासी कल्लू और विमल कुमार विश्वकर्मा को गिरफ्तार किया था। आरोपितों पर धोखाधड़ी व कूटरचना के अलावा राष्ट्रद्रोह की धारा भी लगाई थी। एटीएस की जांच में सामने आया था गिरोह लाइसेंस धारकों और शस्त्र दुकानों से पुरानी निष्प्रयोज्य रायफल और पिस्टल खरीदता था। उनके मेक व माडल नंबर से प्रतिबंधित बोर के शस्त्र तैयार करता था। प्रतिबंधित बोर के अलावा यह गिरोह कनाडा और सिंगापुर से पार्ट्स लाकर नवीनतम माडल की विदेशी पिस्टल तैयार करते थे।
लखनऊ, कानपुर नगर, सिरसा, हरियाणा के कुछ चुनिंदा शस्त्र विक्रेताओं की दुकानों के जरिए अभिलेखों में कूट रचना करके इन हथियारों को लाइसेंसी व्यक्तियों के साथ ही अपराधियों एवं राष्ट्र विरोधी तत्वों को भी भारी दामों पर बेचते थे। जांच में इसके बाद छह अन्य आरोपित भी पकड़े गए। एटीएस सूत्रों के मुताबिक कुर्बान अली तब से फरार चल रहा था। वह बिहार के भोजपुर जिले के थानाक्षेत्र जगदीश के गांव दलीपुर का रहने वाला है। वर्ष 2013 में वह मछरिया में रहता था।
दस आरोपितों को सुनाई जा चुकी है सजा : इस प्रकरण में अदालत गुरुरामदास अर्मरी कानपुर के मालिक गुरुचरन सिंह, उसके बेटे अमित पाल सिंह, लखनऊ के अजय सिंह और लखनऊ के चौक निवासी खालिद को आजीवन की कारावास सुना चुकी है। इसके अलावा छह अन्य आरोपितों को 10-10 साल की सजा सुनाई गई थी। सभी जेल में हैं।
लाइसेंसी शस्त्र विक्रेता भी शामिल थे खेल में : इस खेल में लाइसेंसी शस्त्रों के विक्रेता भी शामिल थे। इनका सरगना खालिद था, जो कि लखनऊ में नेशनल गन हाउस के नाम से प्रतिष्ठान चलाता था। गुरुचरन सिंह की कानपुर के लाटूस रोड में गुरुरामदास अर्मरी और जुनैद नाम के एक आरोपित बरेली गन हाउस में काम करता था।