हिन्दू हो? निश्चित रूप से आप झूठे हिन्दू हो! क्योकि हिन्दू होने की कुछ शर्तें बताई गयी हैं!, जानें हिन्दू धर्म का अर्थ

जैसा कि आज के समय में कोई नहीं जानता की हमारे जीवन की सच्चई क्या हैं, हम जिस धर्म में पैदा हुए हैं वो धर्म मेंरा है या नहीं, हमारे पुरखे जो हमारी धरोहर होते हैं। वो किस धर्म के थे। यह जानना आज के समय में कफी मुश्किल हो गया है। हमारे समाज में पैदा हुआ हर व्यक्ति किसी न किसी धर्म में ही पैदा होता है।

लेकिन आज भारत के अधिकतर हिन्दू लोग हिन्दू है ही नहीं, असल में हिन्दू होने के लिए कुछ शर्तें बताई गयी हैं और आज भारत के हिन्दू लोग इन शर्तों से अनजान हैं। तो आज हम आपको बताएँगे हिन्दू होने की शर्तें, जो हिन्दू होने के लिए अहम शर्तें हैं।

सबसे पहले हिन्दू धर्म का अर्थ जान लीजिये

सबसे बड़ा दुःख यह है कि आजकल के हिन्दू लोग तो हिन्दू का अर्थ तक नहीं जानते हैं. हैरानी इस बात पर होती है कि आप खुद को हिन्दू तो बोलते हैं लेकिन आप हिन्दू शब्द का अर्थ तक नहीं जानते हैं.

हिन्दू वो व्यक्ति है जो भारत को अपनी पितृभूमि और अपनी पुण्यभूमि दोनो मानता है. हिन्दू धर्म को सनातन, वैदिक या आर्य धर्म भी कहते हैं. हिंदुत्व या हिंदू धर्म को प्राचीनकाल में सनातन धर्म कहा जाता था.
एक हजार वर्ष पूर्व हिंदू शब्द का प्रचलन नहीं था. ऋग्वेद में कई बार सप्त सिंधु का उल्लेख मिलता है. सिंधु शब्द का अर्थ नदी या जलराशि होता है इसी आधार पर एक नदी का नाम सिंधु नदी रखा गया, जो लद्दाख और पाक से बहती है.

हिन्दू होने की शर्तें – हिन्दू हो तो यह शर्ते पता हैं?

संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी ऋग्वेद को हजारों पहले का प्राचीनतम ग्रन्थ माना है. हैरान करने वाली बात यह है कि हिन्दू लोगों को पता ही नहीं होता है कि हिन्दुओं के लिए अनिवार्य है कि वह वेदों का अध्ययन जरूर करें. आप अब पूछेंगे कि यह कहाँ लिखा है? तो जरा ध्यान करें कि क्या महाभारत और रामायण में हिन्दू बच्चे गुरू को खोज वेदों का पाठ नहीं करते थे क्या?

जब आप वेद पढ़ना शुरू करते हैं तो आप जान पाते हैं कि हिन्दू लोगों को कैसा व्यवहार करना चाहिए. किस तरह का आचरण हिन्दू लोगों का होना चाहिए, यह सब बातें हिन्दू लोगों को वेदों से ही पता चलेगी.

आपको तो यह हिन्दू होने की शर्तें भी नहीं पता होंगी?

वेद कितने हैं? आपको अगर यह बात भी नहीं पता है तो क्या आप हिन्दू हैं?

असल में वेद चार हैं. जिनका नाम है- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद. इसके बाद ब्राह्मण, आरण्यक ग्रन्थ, उपनिषद, वेदांग, स्म्रतियाँ और पुराण ग्रन्थ है. सभी ग्रंथों में जीवनयापन और समाज निर्माण की बातें बताई गयी हैं.

लेकिन आजकल जो अंग्रेजी अनुवाद हमारा युवा पढ़ता है वह अन्ग्रेजिन द्वारा किया गया, अनुवाद है. हमारे वेद शास्त्र तो संस्कृत में लिखे हुए हैं. आजकल संस्कृत भाषा तो जैसे गायब ही हो गयी है.

अब अगर आपको वेद-शास्त्र पढ़ने हैं तो आपको संस्कृत का पूरा ज्ञान होना जरुरी है.

हिन्दू होने की शर्तें – आपको तो हनुमान चालीसा तक नहीं आती है

वैसे तो आप खुद की पहचान हिन्दू बताते हैं लेकिन आपको वेद-शास्त्र तो छोड़ो, हनुमान चालीसा तक नहीं पता होती है. आपके यहाँ मंदिर नहीं है और ईश्वर के नाम आपके यहाँ पूजा नहीं होती है.

आप लालच और पाप से धन कमाते हैं तो आप हिन्दू नहीं हो सकते हैं. जनेऊ और गंगा स्नान करने में तो आपको शर्म आती है. फिर अगर अब भी आप खुद को हिन्दू बोलते हैं तो आप झूठे हिन्दू हैं.

तो अब अगर आप खुद को हिन्दू बोलते हैं तो आपको वेद-शास्त्रों का हल्का पूरा ज्ञान तो होना जरुरी है.

तो ये थी हिन्दू होने की शर्तें – धर्म का अर्थ ही धारण करना होता है और आपने वेदों से कोई भी अच्छी बात धारण नहीं की है तो आप हिन्दू हो ही नहीं सकते हैं.

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