अफगानिस्तान में आया आतंकियों का जलजला फिदायीन हमले में 35 लोग की हुई मौत

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में मंगलवार को आतंकियों ने एक अस्पताल पर हमला कर दिया. इस घटना में 14 लोगों की मौत हो गई जिनमें दो नवजात बच्चे, अस्पताल में दाखिल महिलाएं और कुछ नर्स भी शामिल हैं.

आतंकियों को रोकने के लिए स्थानीय पुलिस ने जवाबी फायरिंग की लेकिन किसी आतंकी के मारे जाने की खबर नहीं है. फायरिंग के दौरान ही अफगान सुरक्षा बल अस्पताल से मरीजों और उनके तीमारदारों को निकालते देखे गए. बच्चों और कई महिलाओं को भी काफी जद्दोजहद के बाद बचाया गया.

काबुल के अलावा अफगानिस्तान के अन्य हिस्से में भी हिंसा की आग भड़की. मंगलवार को ही नांगरहर प्रांत में एक फिदायीन हमलावर ने शोक सभा पर हमला कर खुद को उड़ा लिया.

इस घटना में 21 लोगों की मौत हो गई जबकि 55 लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए. यह इलाका इस्लामिक स्टेट का गढ़ माना जाता है. दूसरी ओर खोस्त प्रांत में एक रेहड़ी में बम धमाका हो गया जिससे 10 लोग घायल हो गए. आतंकियों ने रेहड़ी में पहले से बम लगाया था जिसमें अचानक विस्फोट हो गया.

दूसरी ओर, तालिबान ने कहा है कि नांगरहर प्रांत में हुए हमले में उसका हाथ नहीं है. तालिबान ने एक ट्वीट में कहा है कि नांगरहर के खेवा जिले में शोक सभा पर हुए हमले में इस्लामिक एमिरेट की कोई भूमिका नहीं है. ट्वीट में कहा गया है कि इस्लामिक एमिरेट ऐसे हमले की घोर निंदा करता है.

भारत ने काबुल में हुए आतंकी हमले की आलोचना की है. सरकार की तरफ से कहा गया है कि बेगुनाह लोगों पर आतंकी हमला किसी सूरत में जायज नहीं ठहराया जा सकता.

11-12 मई को काबुल के दश्त-ए-बर्ची अस्पताल के मैटरनिटी वार्ड, नांगरहर की शोक सभा और लाघमन के आर्मी चेक पोस्ट पर हमले में कई महिलाओं और बच्चों की जान चली गई.

ये हमले इंसानियत के खिलाफ अपराध हैं. भारत सरकार शोक संतप्त परिवारों से सहानुभूति रखती है और घायल लोगों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करती है.

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