6 मार्च को है आमलकी एकादशी जानिए इस व्रत की महिमा…

आमलकी एकादशी इस बार 6 मार्च यानी कि कल है. हिंदू पंचांग के अनुसार, वैसे तो हर माह में दो एकादशी तिथि पड़ती है. लेकिन फाल्गुन माह में पड़ने वाली एकादशी तिथि का ख़ास महत्व होता है. इस एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन यदि व्रत रखने वाला जातक आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें तो वो भवसागर के बंधन से मुक्त हो जाता है. इस बार 6 मार्च को ही दोपहर 12 बजे से द्वादशी तिथि लग जाएगी. इस वजह से दोपहर से नरसिंह द्वादशी शुरू हो जाएगी.

आंवले का पूजा का क्यों है विधान:
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि भगवान विष्णु ने ही आंवले की उत्पत्ति की थी और उन्हें आंवले के फल विशेष रूप से प्रिय हैं. यह भी माना जाता है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु निवास करते हैं.

आमलकी एकादशी व्रत की विधि:

हर एकादशी व्रत की तरह आमलकी एकादशी व्रत में भी दशमी तिथि से ही रात्रि में भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए सोना चाहिए. अगले दिन सुबह उठकर नित्यकर्म और नहा-धोकर पूजाघर की साफ सफाई करनी चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए. उनकी मूर्ति के समक्ष तिल, अक्षत, धन, जल और कुछ लेकर आमलकी एकादशी के व्रत का संकल्प करना चाहिए .इसके बाद आंवले की पूजा करनी चाहिए. आंवले के पेड़ के आसपास की जमीन को भली भांति साफ़ करके जमीन को गाय के गोबर से लेपकर शुद्ध करना चाहिए. इसके बाद पेड़ के पास ही वेदी बनाकर इसपर पानी से भरा कलश स्थापित करना चाहिए. इसके बाद आंवले की पूजा करनी चाहिए. रात के समय जागरण करते हुए भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हुए उनका स्मरण करना चाहिए. अगले दिन यानी कि द्वादशी तिथि के दिन सुबह स्नान करके फिर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद ब्राह्मणों को भोज खिलाना चाहिए.

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