होली देखने के साथ ब्रज की इन जगहों की सैर भी रहेगी यादगार

होली का त्योहार करीब आ रहा है। इस फागुनी मौसम में ब्रजमंडल (मथुरा, वृंदावन और बरसाने) की रौनक देखते ही बनती है। यहां वसंत पंचमी से ही फाग उत्सव की शुरुआत हो जाती है। तो फिर क्यों न इस बार आप भी चलें ब्रजमंडल और वहां होली के रंगों में सरोबार हो जाएं।

अनोखी परंपरा के चलते दुनियाभर में मशहूर है ब्रज की होली 

इस जगह की होली का अलग ही आकर्षण है। बरसाने की लट्ठमार होली दुनियाभर में मशहूर है। इस उत्सव में नंदगांव के ग्वाल-बाल गोपियों के साथ होली खेलने और राधारानी के मंदिर का ध्वजारोहण करने बरसाने आते हैं। यहां गोपियां अबीर-गुलाल और लाठियों से उनका स्वागत करती हैं। नंदगांव के ग्वाले भी पूरी तैयारी से अपने बचाव के लिए मजबूत ढाल लेकर आते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा भी करते हैं, जो मथुरा से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस पर्वत की परिक्रमा पैदल या गाड़ी से भी की जा सकती है।

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इन जगहों की सैर रहेगी यादगार 

निधिवन के दर्शन के बिना ब्रज का भ्रमण अधूरा है लेकिन यहां सूर्यास्त से पहले पहुंचना जरूरी होता है। इसके अलावा तुलसी वन, वंशीवट, गोपेश्वर महादेव का मंदिर भी दर्शनीय है। वृंदावन-मथुरा से 15 किमी की दूरी पर सुप्रसिद्ध बांके बिहारी जी का मंदिर है, जिसे स्वामी हरिदास के अनुयायियों ने बनवाया था। यहां दक्षिणशैली का रंग मंदिर भी है, जो लाल पत्थरों से निर्मित है। इसके 50 फीट ऊंचे ध्वज स्तंभ पर सोने का पानी चढ़ा है। इसके अलावा यहां टेढ़ा खंभा, मीराबाई, राधागोविंद, गोपीनाथ जी, राधावल्लभ, इस्कॉन और चंद्रोदय जैसे कई भव्य मंदिर, वन और घाट हैं, जो श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचते हैं। 

कैसे पहुंचे 

नंदगांव, बरसाना और गोवर्धन परिक्रमा स्थल इन सबी जगहों के लिए वृंदावन से वाहन मिल जाते हैं। बस टैक्सी या निजी वाहन से भी यात्रा का आनंद लिया जा सकता है। वायु मार्ग से मथुरा जाना चाहते हैं तो पहले आपको दिल्ली या आगरा पहुंचना होगा क्योंकि वहां एयरपोर्ट नहीं है। यह तीर्थ सड़क मार्ग से देश के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा है। जयपुर, दिल्ली, आगरा, उज्जैन और लखनऊ से मथुरा के लिए डीलक्स बसें भी अवेलेबल हैं।

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