शराबबंदी के दो साल बाद भी बिक रही शराब, एक लाख FIR, 1.25 लाख गिरफ्तारी
पटना। बिहार में शराबबंदी के दो साल पूरे हो चुके हैं। इसे प्रभावी बाने के लिए छह लाख से अधिक छापेमारी की गई। एक लाख से अधिक एफआअार दर्ज किए गए। 1.21 लाख से अधिक गिरफ्तारियां हुईं। राज्य में लगभग 25 लाख लीटर देशी-विदेशी शराब की रिकार्ड बरामदगी भी हुई। शराबबंदी के दौरान अपराध मे कमी के आंकड़े भी अपनी जगह हैं। लेकिन सच यह भी है कि राज्य में शराब तस्करी का नया चैनल भी खुला। इसे कानून के रखवालों का भी संरक्षण मिलने लगा। तस्करी के नए-नए तरीके अपनाए गए।
केस 1: अस्पताल में दवा की जगह मिली शराब
17 अप्रैल 2018 को बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के सुगौली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से शराब का अवैध धंधा संचालित किए जाने का खुलासा हुआ। यह शायद सूबे की पहली घटना है, जिसमें अस्पताल से शराब का कारोबार पकड़ में आया। पुलिस ने सुगौली पीएचसी प्रभारी के आवास से कार्टन में रखी 147 बोतल राॅयल स्टेग शराब बरामद किया।
केस 2: लग्जरी गाडि़यों से महिला कर रही थी शराब तस्करी
राजधानी पटना में 13 अप्रैल 2018 को काले रंग की स्कोडा गाड़ी का शीशा हटाते ही पुलिस को शक हुआ कि कुछ गड़बड़ है। कार में बैठे तीन युवक एक महिला दोस्त के साथ थे। जब कार की तलाशी ली गई तो उसमें छुपाकर रखी गई महंगी अंग्रेजी शराब की बड़ी खेप मिली। पुलिस यह देखकर दंग रह गई कि इतनी मात्रा में महंगी शराब की तस्करी करने के लिए युवक महिला दोस्त का सहारा ले रहे थे।
शराब तस्करों ने इजाद किये नये-नये तरीके
बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद तस्करों ने शराब तस्करी के नये-नये तरीके इजाद किये हैं। नवादा जिले में 8 जनवरी 2018 को एक ट्रक में नीचे शराब ऊपर आलू रखा मिला था। 2 फरवरी 2018 को पटना पुलिस ने एक बाइक पर दो लोगों को ट्रक की ट्यूब के साथ जाते देखा। शक के आधार पर उन्हें रोककर पूछताछ की गई। पता चला की ट्यूब में 50 लीटर महुआ निर्मित शराब भरा था।
गाड़ियों की बॉडी से लेकर गैस सिलेंडर और तेल की टंकियों तक में शराब तस्करी की जा रही है। मसाले और आलू के बीच शराब रखकर तस्करी की जा रही है। इतना ही नहीं, कई बार तेल के कंटेनर में भी शराब पैक कर बिहार लाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। शराब लाने लाने ले जाने के लिए डाक गाडियों और एम्बुलेंस का भी इस्तेमाल होता रहा है। पुलिस एक का पर्दाफाश करती है तो तस्कर दूसरे तरीके इजाद कर लेते हैं।
शराबबंदी के भ्रष्ट पुलिसकर्मियों की बढ़ी कमाई
शराबबंदी में भ्रष्ट पुलिसकर्मियों की कमाई काफी बढ़ गई है। इसका एक बड़ा उदाहरण है बिहार के मुजफ्फरपुर के निलंबित एसएसपी विवेक कुमार। विवेक कुमार पर शराब माफिया से मिलीभगत का आरोप है। बताया जाता है कि हरियाणा के शराब माफिया से उनकी बात होती थी। उनके मुजफ्फरपुर स्थित सरकारी आवास के अलावा दिल्ली, पटना व यूपी के सहारनपुर स्थित उनके पैतृक आवास समेत अन्य ठिकानों पर भी विजिलेंस की जांच के बाद यह सामने आया कि शराबबंदी के बाद उनकी कमाई काफी बढ़ गई थी।
28 मार्च 2017 को पटना जिले के गौरीचक थाने के मुंशी पंकज सिंह का शराबी को छोड़ने के एवज में घूस लेते वीडियो वायरल होने के बाद एसएसपी मनु महाराज ने उसे सस्पेंड कर दिया था।
04 दिसंबर 2107 को सिवान जिले के दारौंदा थाना के एएसआइ अमित कुमार को पुलिस अधीक्षक सौरव कुमार शाह ने शराब बरामदगी के दौरान गिरफ्तार जलालपुर निवासी दीपक कुमार सिंह को बगैर किसी वरीय पदाधिकारी के सलाह के छोड़ दिए जाने के मामले में निलंबित कर दिया था।
गायब हो चुकी शराब को लेकर थानेदारों की दलीलें भी कम आश्चर्यजनक नहीं थी। बात मई 2017 की है, जब बताया गया कि मालखानों में जब्त करीब 9 लाख लीटर शराब शराब चूहे गटक गए। तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस वाकये को काफी गंभीरता से लिया था। थानों में जब्त करके रखी गई शराब की पहरेदारी में नाकाम करीब सवा सौ पुलिस अधिकारियों व जवानों पर गाज गिर चुकी है।
शराबबंदी के बाद पूरे गांव पर लगा सामूहिक जुर्माना
वर्ष 2016 के अगस्त माह में बिहार के नालंदा जिला प्रशासन ने कैलाशपुरी गांव में अवैध शराब के कारोबार की शिकायत मिलने पर सामूहिक रूप से जुर्माना लगाया गया। जिला प्रशासन ने इस गांव के हर घर पर 5000 रुपए का जुर्माना लगाया।
तत्कालीन जिलाधिकारी त्यागराजन एसएम ने बताया कि प्रशासन ने नालंदा के कैलाशपुरी गांव से शराब की बोतलें बरामद की। नालंदा बिहार के मुख्यमंत्री का गृह जिला है। जिला प्रशासन की लाख चेतावनी के बावजूद यहां शराब का धंधा लगातार चल रहा था। इस वजह से पूरे गांव पर सामूहिक जुर्माना लगाया गया।
शराबबंदी पर सियासत
शराबबंदी को लेकर बिहार में सियासत भी जारी है। कभी शराबबंदी लागू होने के बाद एक साथ मानव श्रृंखला में हाथ जोड़कर खड़ा रहने वाले अलग होते ही इसकी आलोचना करने लगे। दूसरी ओर सत्ता पक्ष इसे सही बता रहा है। कई ऐसे उदाहरण दिये जा रहे हैं, जिसमें शराबबंदी के बाद घरों में खुशहाली लौट आयी है।
शराबबंदी पर महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं बिहार प्रभारी शारदा राठौर का कहना है कि राज्य में शराबबंदी के नाम पर गरीबों को प्रताडि़त किया जा रहा है। इसके खिलाफ महिलाओं को गोलबंद किया जाएगा।
कभी शराबबंदी का समर्थन वाले बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी अब इसकी मुखालफत कर रहे हैं। उनके अनुसार शराबबंदी कानून के बहाने बिहार में पुलिस गरीबों को सता रही है। इस कानून के तहत गिरफ्तार लोगों में तीन चौथार्इ (74 फीसद) गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले हैं। शराबबंदी कानून में खामियां हैं, जिन्हें दूर करना जरूरी है।
जीतनराम मांझी का कहना है कि बिहार में शराबबंदी पूरी तरह फेल हो चुकी है। इसकी समीक्षा की जानी चाहिए। शराबबंदी से गरीबों को कुछ फायदा हुआ है या नहीं, इस पर सभी चुप हैं। जबकि शराब मामले में गिरफ्तार 72 हजार लोगों में 60 हजार गरीब शामिल हैं।
जदयू नेता व प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि बिहार में किसी भी हाल में शराबबंदी लागू रहेगी। शराबबंदी के लिए चार करोड़ लोगों का समर्थन मिला है। शराबबंदी लागू होने के बाद समाज में परिवर्तन आ रहा है। दलितों के बीच अपराधिक वारदात में कमी हुई है। महिलाओं पर हिंसा में कमी हुई है।
क्या कहते हैं पुलिस अधिकारी
अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) संजीव कुमार सिंघल कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि शराबबंदी के मामले में किसी तरह लापरवाही बर्दास्त नहीं की जायेगी। अगर कोई पुलिसकर्मी दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
ऐसा है शराबबंदी कानून
कोई पीकर आपके घर आया तो आएंगे जेल : यदि कोई आपके घर में शराब पीकर आया या फिर आपने अपने घर के परिसर में शराब पीने की इजाजत दी तो सात साल की कैद व 10 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है। नए कानून में सजा का ये प्राविधान बनाया गया है. किसी जगह पर बैठकर शराब या फिर अन्य मादक द्रव्य का सेवन करने पर कम से कम 3 वर्ष और अधिकतम 7 वर्ष की सजा होगी। एक लाख रुपए का न्यूनतम जुर्माना और अधिकतम क10 लाख रुपए तक का जुर्माना होगा।
नशे में हंगामा बरपाया तो 10 साल की सजा: नए कानून में यह प्रावधान है कि अगर शराब पीकर उपद्रव किया और हिंसा की तो कम से कम 10 वर्ष की सजा होगी। इस सजा को बढ़ाकर आजीवन कारावास भी किया जा सकता है। इस मामले में जुर्माने की न्यूनतम राशि एक लाख और अधिकतम 10 लाख रुपए होगी।
गृह स्वामी बताएगा कौन लाया शराब: यदि घर में शराब बरामद होती है तो पुलिस को ये जानकारी देनी होगी कि इसे कौन लाया? जानकारी नहीं देने गृह स्वामी को कम से कम 8 वर्ष की सजा होगी. इसे बढ़ाकर 10 वर्ष भी किया जा सकेगा। जुर्माने की राशि बढ़ाकर 10 लाख रुपए तक की जा सकेगी।
महिलाओं से कराया धंधा तो होगी उम्रकैद: अगर कोई व्यक्ति महिलाओं व 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शराब के अवैध धंधे में लगाने के आरोप में पकड़ा जाएगा तो उसे कम से कम 10 वर्ष की सजा होगी और इसे बढ़ाकर आजीवन कारावास तक किया जा सकता है। न्यूनतम एक लाख और अधिकतम 10 लाख रुपए तक का जुर्माना भी देना होगा।
किया परेशान तो जिम्मेदार जाएंगे जेल: शराबबंदी से जुड़े नए कानून में यह प्रावधान भी है कि अगर कोई उत्पाद पदाधिकारी या पुलिस पदाधिकारी परेशान करने की नीयत से किसी घर की तलाशी लेता है या फिर किसी को गिरफ्तार करता है तो उसे जेल और एक लाख रुपए तक का जुर्माना देना होगा।
गांव पर सामूिहक जुर्माना: अगर किसी गांव या शहर विशेष में शराबबंदी से संबंधित कानून का उल्लंघन हो रहा है तो डीएम को यह अधिकार होगा कि वह उक्त गांव या शहर विशेष पर सामूहिक जुर्माना लगा सकेंगे।
पूर्ण शराबबंदी को प्रभावी बनाने के लिए अबतक की गई कार्रवाई
कुल छापेमारियां- 6,51,687
दर्ज मुकदमे – 1,01,485
कुल गिरफ्तारी- 1,21,586
बरामद देसी शराब- 8,22,959.5 लीटर
बरामद विदेशी शराब- 16,39,882.6 लीटर
शराबबंदी के बाद आपराधिक आंकड़ों में आई गिरावट
हत्या
वर्ष हत्या के कुल दर्ज मामले
2013 3441
2014 3403
2015 3178
2016 3087
2017 2803
डकैती
वर्ष डकैती के दर्ज मामले
2013 579
2014 538
2015 426
2016 349
2017 325
फिरौती के लिए अपहरण
वर्ष दर्ज मामले
2013 70
2014 62
2015 58
2016 37