अखिलेश यादव ने BJP सरकार पर बोला धावा, बोले- दुष्कर्म की घटनाओं ने देश के हर घर को चिंता में डाल दिया है
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बार फिर से देश में बढ़ रहे दुष्कर्म के मामले को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। साथ ही सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।
उन्नाव, कठुआ, सूरत और अब दिल्ली में बलात्कार की घटनाओं ने देश के हर घर को चिंता में डाल दिया है. लोगों में अपनी बहन-बेटियों को लेकर डर का माहौल बन गया है. सरकार इतने गंभीर विषय पर भी कोई ठोस कार्रवाई न करके राजनीति कर रही है, इससे दुखद, शर्मनाक और निंदनीय और क्या हो सकता है.
देश में पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के कठुआ और उत्तर प्रदेश के उन्नाव में हुई रेप की घटनाओं से गुस्सा है। देश में जगह-जगह इसके विरोध में प्रदर्शन चल रहे हैं। लोग सड़कों पर पोस्टर और बैनर लेकर उतर रहे हैं।
आपको बता दें कि गुजरात के सूरत में एक 11 साल की बच्ची का शव बरामद हुआ है। उसके शरीर पर चोट के 86 निशान मिले हैं। बच्ची के प्राइवेट पार्ट में भी चोट के निशान बताए जाते हैं। बच्ची की रेप के बाद हत्या की आशंका जताई जा रही है। फोरेंसिक जांच की रिपोर्ट आने के बाद ही तय होगा कि बच्ची का यौन उत्पीड़न किया गया है या नहीं। सूरत सिविल अस्पताल के फोरेंसिक विभाग के प्रमुख गणेश गोवेकर के अनुसार, बच्ची को गला घोंटकर मारा गया है।
इससे पहले जम्मू-कश्मीर से दिल दहला देने वाला मामला सामने आया था। कठुआ के रासना गांव में बच्ची को एक मंदिर में रखकर लगातार 7 दिनों तक गैंगरेप करने के बाद मार दिया गया था। बताया जा रहा है कि 10 से 17 जनवरी के बीच यह वारदात हुई थी।
फिलहाल गैंगरेप मामले में महबूबा मुफ्ती सरकार ने 3 पुलिसवालों को बर्खास्त कर दिया है। ये तीनों पुलिसवाले कठुआ की आठ साल की बच्ची के गैंगरेप और मर्डर केस में आरोपी थे।
चार जून 2017 को माखी थाना क्षेत्र के गांव से 17 साल की किशोरी को गांव के ही शुभम और उसका साथी कानपुर जिले के चौबेपुर निवासी अवधेश तिवारी अगवा कर ले गए। करीब आठ महीने बाद किशोरी मिली तो उसने आपबीती बताई। पीड़िता की मां ने माखी थाने में तहरीर दी। इसमें विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर पड़ोस की एक महिला के जरिए बहाने से घर बुलाकर रेप करने और इसके बाद उसके गुर्गों द्वारा गैंगरेप करने का आरोप लगाया। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की।
11 जून 2017 को पीड़िता ने अदालत की शरण ली। कोर्ट के आदेश पर 156/3 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। इसमें पुलिस ने अवधेश तिवारी, शुभम तिवारी व अन्य के खिलाफ दर्ज किया गया। यानी इसमें विधायक और आरोपी महिला का नाम हटा दिया गया। इसके बाद से यह मामला कोर्ट में चलता रहा।