कृषि कानून: केंद्र- अधिकारियों से किसान कानून पर बातचीत रही बेनतीजा, सिर्फ समझाया गया बिल

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीन किसान कानूनों को लेकर अभी भी जमकर विवाद जारी है। पंजाब, हरियाणा समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से किसान संगठनों से बातचीत की पहल की गई है। पंजाब से कुल सात किसान संगठन दिल्ली में कृषि मंत्रालय पहुंचे, जहां अधिकारियों से कानून पर मंथन हुआ।

लेकिन केंद्र और किसान यूनियन के बीच की बातचीत बेनतीजा रही, मंत्रालय में बात करने के बाद किसान संगठन के प्रतिनिधि बाहर आए, उन्होंने बताया कि मंत्रालय के लोगों ने उन्हें सिर्फ बिल को समझाने की कोशिश की, लेकिन ये नहीं बताया कि विवादित विषयों को कानून से हटाया जाएगा या नहीं।

कृषि मंत्रालय की ओर से संजय अग्रवाल ने इस बैठक में हिस्सा लिया और संगठनों की बात सुनी, पंजाब से जो लोग किसान यूनियन की ओर से शामिल हुए, उनमें बलवीर सिंह राजेवाल, जगरूप सिंह, कुलवंत सिंह, दर्शन पाल, जगजीत सिंह, सतनाम सिंह, सुरजीत सिंह फूल शामिल हैं।

आपको बता दें कि जब से कानून संसद से पास हुआ है, तभी से इसपर विवाद है। नए कृषि कानूनों में मंडी से बाहर फसल बिक्री की खुली छूट, प्राइवेट फार्मिंग को बढ़ावा देने जैसे प्रस्ताव लाए गए हैं। हालांकि, कई कृषि संगठन और राजनीतिक दल इन कानूनों को किसान विरोधी करार दे रहे हैं।

साथ ही किसानों की ओर से डर जताया गया है कि इस कानून से एमएसपी सिस्टम खत्म हो जाएगा, हालांकि सरकार का कहना है कि ये गलत है, एमएसपी सिस्टम जारी रहेगा। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मौकों पर कृषि कानूनों को लेकर अपनी बात कह चुके हैं और विपक्ष की बातों में ना आने की अपील कर चुके हैं।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत विपक्ष के कई नेता इस कानून के खिलाफ सड़क पर लड़ाई लड़ रहे हैं। राहुल गांधी ने हाल ही में पंजाब, हरियाणा में ट्रैक्टर रैली भी निकाली थी और किसानों से जुड़े कानूनों का विरोध किया था। कांग्रेस का दावा है कि सत्ता में आने पर वो इन कानूनों को रद्द कर देगी।

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