जब 111 रन पर छह विकेट खोने के बाद भी 10 रन से जीत गया था भारत, और क्लीन स्वीप…

तीन मैचों की सीरीज में दो मैच हारने के बाद आखिरी वनडे जीत पाकिस्तान के हाथों क्लीन स्वीप होने से बची टीम इंडिया। भारत और पाकिस्तान भले ही लंबे समय से द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेल रहे हो लेकिन जब भी यह दोनों टीमों आमने सामने आई हैं एक रोंगटे खड़े कर देने वाला मुकाबला देखने को मिला है। बात चाहे 2007 टी20 विश्वकप फाइनल की हो या 2011 विश्वकप सेमीफाइनल की भारत ने पाकिस्तान को हर बार मात दी है। पाकिस्तान के लिए विश्व स्तरीय टूर्नामेंट में भारत से जीतना कभी आसान नहीं था। भारत और पाकिस्तान के यूं तो कई मुकाबले हैं जो यादगार रहे लेकिन आज हम आपकों एक ऐसे मैच के बारे में बताने जा रहे हैं जहां दोनों ही टीमों का कोई भी खिलाड़ी 40 रन का आंकड़ा भी पार नहीं कर का था फिर भी भारत ने यह मैच जीत कर क्लीन स्वीप के खतरे को टाल दिया था।

जब 111 रन पर छह विकेट खोने के बाद भी 10 रन से जीत गया था भारत, और क्लीन स्वीप...

साल 2013 में पाकिस्तान के भारत दौरे पर तीन वनडे मैचों की सीरीज खेली गई थी। इस सीरीज में भारत पहले दोनों वनडे हारकर सीरीज अपने हाथों से गंवा चुका था लेकिन तीसरे वनडे में जीतना जरूरी था क्योंकि भारतीय टीम पर क्लीन स्वीप का खतरा मंडरा रहा था। बैंगलौर के चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले गए पहले वनडे में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने शानदार शतक जड़ा था लेकिन उनकी यह बेहतरीन पारी भी भारत तो हारने से नहीं बचा सकी। धोनी के अलावा कोई भी भारतीय बल्लेबाज इस सीरीज में अच्छा नहीं खेला था। पहला वनडे भारत नसीर जमशेद के शतक की बदौलत छह विकेट से हार गया था। पाकिस्तान के लिए भाग्यशाली रहे कोलकाता के ईडन गार्डन में खेले दूसरे वनडे में भी नसीर ने शतक जड़ा और भारत के सामने 250 का लक्ष्य रखा। एक बार फिर धोनी को छोड़कर कोई भारतीय बल्लेबाज क्रीज पर नहीं टिक पाया। हालांकि धोनी की अर्धशतकीय पारी भी भारत को हारने से नहीं बचा सकी। धोनी एक छोर पर नाबाद रहे लेकिन कोई बल्लेबाज उनका साथ नहीं दे पाया और भारत 85 रनों से मैच हार गया।

तीसरा वनडे दिल्ली के फिरोज शाह कोटला में खेला जाना था। यह भारतीय टीम के लिए अपनी साख बचाने का आखिरी मौका था। मैदान पर धोनी और पाकिस्तान के कप्तान मिसबाह-उल-हक टॉस के लिए मैदान पर आए, धोनी ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। इस अहम मैच में भी भारत का बल्लेबाजी क्रम लड़खड़ाता नज़र आया। गौतम गंभीर और अजिंक्य रहाणे दोनो ही सलामी बल्लेबाज सस्ते में पवेलियन लौट गए। विराट कोहली भी केवल सात रन पर आउट हो गए। 111 के स्कोर पर भारत ने छह विकेट खो दिए। कप्तान धोनी ने एक बार फिर टीम को संभालने की कोशिश की लेकिन किस्मत ने इनका साथ नहीं दिया। धोनी 36 रन के स्कोर पर उमर गुल का शिकार बने। धोनी के बनाए 36 रन इस मैच में भारतीय टीम का अधिकतम स्कोर रहा। टीम इंडिया 167 जैसे कम स्कोर पर ऑल आउट हो गई। पाकिस्तानी गेंदबाज सईद अजमल ने पांच विकेट लेकर शानदार प्रदर्शन किया।

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अब बारी दी 168 के लक्ष्य को डिफेंड करने की। नसीर अहमद और मिसबाह-उल-हक जैसे बल्लेबाजों के रहते इतने कम स्कोर को बचा पाना टीम इंडिया के लिए बड़ी चुनौती थी और इस चुनौती पर ब्लू ब्रिगेड खरी उतरी। इस सीरीज से वनडे डेब्यू कर रहे भुवनेश्वर कुमार को धोनी ने ओवर की शुरुआत करने का मौका दिया और भुवी ने कप्तान को निराश नहीं किया। भुवनेश्वर ने दो विकेट लेकर पाकिस्तान के शीर्ष बल्लेबाजी क्रम को तोड़ दिया। पाकिस्तान ने 14 रन पर दो विकेट खो दिए थे। इससे अन्य भारतीय गेंदबाजों का हौसला बढ़ा और फिर मिसबाह की 39 रन की संघर्षपूर्ण पारी भी पाकिस्तान के हार से नहीं बचा सकी। भारत ने यह रोमांचक मैच 10 रन से जीतकर 19 साल में पहली बार घरेलू वनडे सीरीज में क्लीन स्वीप होने के खतरे को टाल दिया।

भारत की ओर से ईशांत शर्मा ने सबसे अधिक तीन विकेट लिए। वहीं भुवनेश्वर कुमार और रविचंद्रन अश्विन ने दो-दो विकेट चटकाए। वहीं इस मैच से अपना वनडे डेब्यू कर रहे मोहम्मद शमी ने भी एक विकेट लिए। वहीं मैन ऑफ द मैच का खिताब कप्तान धोनी को मिला। पाकिस्तान ने यह सीरीज 2-1 से जीत ली लेकिन भारतीय टीम को क्लीन स्वीप करने का उनका सपना अधूरा रह गया।

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