सियासत से पूरी तरह मोहभंग होने के बाद नौकरशाही में लौटे शाह, फैसल को एनएससीएस में नियुक्त करने पर हो रहा विचार

सियासत से पूरी तरह मोहभंग होने के बाद नौकरशाही में लौटे आइएएस शाह फैसल को केंद्र सरकार में जल्द ही एक बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय एनएससीएस में नियुक्त करने पर विचार हो रहा है। प्रदेश सरकार ने पहले ही उन्हें केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाने की अनुमति प्रदान कर दी है। उनकी नियुक्ति का आदेश अगले चंद दिनों में किसी भी समय जारी हो सकता है। वर्ष 2009 बैच के आइएएस डाॅ. शाह फैसल यूपीएससी की परीक्षा में टाप करने वाले पहले कश्मीरी मुस्लिम हैं। अगर एनएससीएस में उन्हें नियुक्ति किया जाता है तो वह यह उपलब्धि प्राप्त करने वाले भी जम्मू-कश्मीर के पहले नागरिक होंगे।

संबधित प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि एनएससीएस में सामान्यत: आइएएस कैडर के अधिकारियों को नहीं लिया जा सकता। डाॅ. शाह फैसल के लिए कर्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार आइएएस कैडर का एक पद एनएससीएस में स्थानांतरित कर सकता है। इस संदर्भ में केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और गृह विभाग के संबधित अधिकारियों के बीच एक बैठक भी हो चुकी है।

प्रदेश प्रशासन से जुड़े सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार डाॅ. शाह फैसल की सेवाओं का इस्तेमाल कश्मीर में सुरक्षा परिदृश्य में सुधार और स्थायी शांति बहाली के रोडमैप को आगे बढ़ाने में इस्तेमाल करना चाहती है। फैसल को कश्मीरी युवाओं में एक रोल माडल की तरह देखा जाता है। शाह फैसल ने जब राजनीति में उतरने का फैसला किया था तो सभी काे मालूम है कि वह नेशनल कांफ्रेंस का हिस्सा बनने वाले थे। लेकिन स्थानीय युवाओं द्वारा इस पर एतराज जताए जाने पर उन्होंने नेशनल कांफ्रेंस का हिस्सा बनने का विचार छोड़ अपना नया राजनीतिक दल बनाया था।

डाॅ. शाह फैसल हालांकि अनुच्छेद 370 के समर्थक रहे हैं और पीपुल्स एलायंस फार गुपकार डिक्लेरशन में शामिल थे। पांच अगस्त 2019 को केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू किए जाने पर उन्होंने अपने टवीटर हैंडल पर लिखा था कि आप कठपुतली हो सकते हैं या फिर अलगाववादी। उन्हें 14 अगस्त 2019 को दिल्ली एयरपोर्ट पर उस समय पकड़ा गया था जब तुर्की जा रहे थे।इसके बाद उन्हें जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाकर श्रीनगर में डल झील किनारे शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में बनाई गई पूरक जेल में रखा गया था। राजनीति में शामिल होने से पूर्व उन्होंने कई विवादास्पद टवीट किए थे।

जनवरी 2019 में सरकारी सेवा से इस्तीफे का एलान करने के बाद उन्होंने जब अपना राजनीतिक दल बनाया था तो कहा था कि मैं गिलानी वाली राजनीति नहीं कर सकता। मैं सिस्टम का आदमी हूं, सिस्टम में रहकर सिस्टम को ठीक कैसे करना है, यह मैं जानता हूं। अगस्त 2020 में जेल से रिहा होने के चंद दिनों बाद उन्होंने पीएजीडी से नाता तोड़ने के साथ ही खुद को भी सियासत से अलग कर लिया। इसके बाद उन्होंने कहा अब जम्मू कश्मीर में आप राष्ट्रवादी हो सकते हैं या अलगाववादी, बीच का कोई रास्ता नहीं है। उसके बाद से वह जम्मू कश्मीर में भारत सरकार की नीतियों के समर्थन में लगातर मुखर रहे हैं।

कश्मीर मामलों के जानकार रशीद राही ने कहा कि डा शाह फैसल कश्मीरी नौजवानों के रोल माडल माने जाते हैं। इंटरनेट मीडिया पर कश्मीर के जिन लोगों को सबसे ज्यादा फालो किया जाता है, उनमें एक वह भी हैं। उनकी बात को यहां लोग गंभीरता से लेते हैं। उन्होंने आतंकी हिंसा की पीड़ा झेली है, उनके पिता का कत्ल आतंकियों ने ही किया था। इसके अलावा उन्होंने कश्मीर में अलगाववादी सियासत से जुड़े लोगों, कश्मीर की विशिष्ट पहचान की रक्षा करने का दावा करने वाले नेकां, पीडीपी, पीपुल्स कांफ्रेंस सरीखे मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के नेताओं को भी करीब से देखा-समझा है। उन्होंने अगर सियासत छोड़ी और अगर यह कहा है कि मुझे मेरे आदर्शवाद ने नुक्सान पहुंचाया है तो उन्होंने हकीकत को महसूस करने के बाद ही कहा है। उन्होंने संदेश दिया है कि कश्मीरियों को हकीकत को अपनाने के लिए कहा है।

उन्होंने कहा कि डाॅ शाह फैसल काे एनएससीएस में अगर नियुक्त किए जाने की बात सही है तो यह बहुत फायदेमंद होगा। एनएसीसीएस में जम्मू कश्मीर कैडर के एक वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी भी बीते तीन चार साल से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अब वहां एक युवा आइएएस अधिकारी भी होगा तो वह कश्मीरी युवाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करते हुए कश्मीर में अमन बहाली के लिए एक व्यावहारिक योजना को लागू करने में सहायता मिलेगी। 

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